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बीकानेर, केंद्र सरकार 1 अक्टूबर से देश में लेबर कोड के नियमों को लागू करने की तैयारी में है. इस कानून को लागू होते ही कर्मचारियों के टेक होम सैलरी और PF स्ट्रक्चर में बदलाव हो जाएगा. बदलाव से कर्मचारियों की टेक होम सैलरी घट जाएगी, जबकि भविष्य निधि यानी PF में ज्यादा पैसा जमा होने लगेगा. दरअसल, केंद्र सरकार चारों श्रम कानूनों को जल्द से जल्द लागू करना चाहती है. पहले 1 जुलाई से ही लेबर कोड के नियमों को लागू करने का प्लान था. लेकिन राज्य सरकारें तैयार नहीं थीं. इन चार संहिताओं के तहत केंद्र और राज्यों दोनों को इन नियमों को अधिसूचित करना होगा, तभी संबंधित राज्यों में ये कानून अस्तित्व में आएंगे. श्रम कानूनों के लागू होने के बाद सैलरी स्ट्रक्चर में कई बदलाव होने वाले हैं नए कानून से कर्मचारियों के मूल वेतन (बेसिक) और भविष्य निधि की गणना के तरीके में उल्लेखनीय बदलाव आएगा. श्रम मंत्रालय औद्योगिक संबंध, वेतन, सामाजिक सुरक्षा, व्यवसायिक और स्वास्थ्य सुरक्षा, तथा कार्यस्थिति को लेकर नया नियम लागू करने की तैयारी में है. चार श्रम संहिताओं के तहत 44 केंद्रीय श्रम कानूनों को सुसंगत किया जा सकेगा. बदलाव के बाद कर्मचारियों की बेसिक सैलरी 15000 रुपये से बढ़कर 21000 रुपये हो सकती है. लेबर यूनियन की मांग रही है कि कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी को 15000 रुपये से बढ़ाकर 21000 रुपये किया जाना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो आपका वेतन बढ़ जाएगा. सामने आई बड़ी वजह नई वेतन संहिता के तहत भत्तों को 50 फीसदी पर सीमित रखा जाएगा. इसका मतलब है कि कर्मचारियों के कुल वेतन का 50 फीसदी मूल वेतन होगा. भविष्य निधि की गणना मूल वेतन के प्रतिशत के आधार पर की जाती है, इसमें मूल वेतन और महंगाई भत्ता शामिल रहता है. अभी नियोक्ता वेतन को कई तरह के भत्तों में बांट देते हैं. इससे मूल वेतन कम रहता है, जिससे भविष्य निधि और आयकर में योगदान भी नीचे रहता है. नई वेतन संहिता में भविष्य निधि योगदान कुल वेतन के 50 प्रतिशत के हिसाब से तय किया जाएगा. क्या है फायदा नए बदलाव के बाद बेसिक सैलरी 50 फीसदी या उससे भी ज्यादा हो सकती है. वहीं PF बेसिक सैलरी के आधार पर ही कैलकुलेट किया जाता है, तो उसमें अब कंपनी और कर्मचारी दोनों का योगदान बढ़ जाएगा. ग्रैच्युटी और PF में योगदान बढ़ने से रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि में इजाफा होगा. PF में कर्मचारियों का योगदान बढ़ने से कंपनियों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा. इसके साथ ही बेसिक सैलरी बढ़ने से ग्रैच्युटी की रकम भी अब पहले से ज्यादा होगी, ये पहले के मुकाबले डेढ़ गुना तक ज्यादा हो सकती है. इन चीजों से निजी कंपनियों की बैलेंस शीट भी प्रभावित होगी.

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