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बीकानेर,द पुष्करणा फाउंडेशन बीकानेर के द्वारा आयोजित पुष्करणा समाज के सामूहिक विवाह सावा के अवसर पर आयोजित चार दिवसीय आयोजन के आज तीसरे दिन एक वैचारिक संगोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ शिक्षाविद एवं संस्कृति कर्मी राजेश रंगा की अध्यक्षता में रखी गई।

संगोष्ठी में अपने विचार रखते हुए राजेश रंगा ने कहा कि पुष्करणा समाज हमेशा प्रगतिशील विचारों का निर्वहन करने वाला समाज रहा है। हमारे पूजनीय समाज के पुरोधाओं ने सैकड़ो वर्ष पूर्व सामाजिक सरोकारों को ध्यान में रखते हुए 16 संस्कारों में से महत्वपूर्ण संस्कार विवाह के लिए सावा नाम से एक सामूहिक विवाह आयोजन का निर्णय लिया, यह निर्णय आज के भौतिक और अति खर्चीले दौर में अपनी प्रासंगिकता और सार्थकता को और अधिक सिद्ध कर रहा है। रंगा ने आगे कहा कि पुष्करणा समाज मैं सावे की स्वस्थ परंपरा आज भी चल रही है, ऐसी परंपराओं के माध्यम से ही आज अनेक समाज सामूहिक विवाह आयोजन कर रहे हैं।
संगोष्ठी में अपनी बात रखते हुए समाजसेवी हरिनारायण आचार्य ने कहा कि पुष्करणा सावा अपने आप में अनूठा एवं निराला है जिसका सभी समाजों को इंतजार रहता है हमें इन परंपराओं के लिए समर्पित भाव से काम करना चाहिए। इसी कड़ी में अपनी बात रखते हुए समाजसेवी और संस्था के प्रतिनिधि गोपीचंद छंगाणी ने कहा कि पुष्करणा समाज का सामूहिक विवाह पूरे देश में ओलंपिक के नाम से ख्यात है, जिसे देखने आज भी देशी और विदेशी पर्यटक बीकानेर आते हैं यह अपने आप में महत्वपूर्ण बात है ।
प्रारंभ में इस महत्वपूर्ण वैचारिक संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन करते हुए युवा कवि पुनीत कुमार रंगा ने कहा कि पुष्करणा समाज हमेशा अपनी परंपराओं के लिए सतत समर्पित भाव से संलग्न रहा है, साथ ही सावे की प्रासंगिकता को आज भी कायम किए हुए हैं तभी तो हम कह सकते हैं कि 4 साल के अंतराल में होने वाला यह देश का अंगूठा और महत्वपूर्ण सामूहिक विवाह आयोजन 2 साल के अंतराल से होने लगा है। हमें पूर्वजों की शॉपी इस स्वस्थ परंपरा को बचाए रखना चाहिए।
अपनी बात रखते हुए राजपूत समाज के प्रतिनिधि भवानी सिंह ने पुष्करणा सामूहिक विवाह को अनुकरणीय बताया तो वही बिश्नोई समाज के गंगा विशन बिश्नोई ने कहा कि ऐसी परंपराओं को अंगीकार करना चाहिए।संगोष्ठी में कई समाज के लोगों ने अपनी सहभागिता निभाई उसी कड़ी में मुस्लिम समाज के भाई रजाक अली ने कहा कि सामूहिक विवाह आज के समय की मांग है महत्वपूर्ण वैचारिक संगोष्ठी में पारीक समाज के गिरिराज पारीक ने कहा की पुष्करणा सामूहिक विवाह एक उत्सव है और इसमें सभी समाज के लोग सभी जातियों के लोग अपनत्व के साथ सहभागी होते है। इस संगोष्ठी के आयोजक और संस्था के सचिव पगड़ी साफा विशेषज्ञ कृष्ण चंद्र पुरोहित ने बतौर स्वागत अध्यक्ष कहा की संस्था सावे पर ऐसे आयोजन कर खास तौर से नई पीढ़ी में अपनी परंपरा और समाज से जुड़ाव करने का एक सार्थक प्रयास करने की पहल कर रही है और मुझे खुशी है कि संस्था की इस पहल पर समाज के लोगों और खास तौर से नई पीढ़ी के युवा साथियों का मुझे और संस्था को खूब सहयोग मिल रहा है।
वैचारिक गोष्ठी का संचालन करते हुए अविनाश व्यास ने कहा कि ऐसे वैचारिक मंथन के माध्यम से समाज में उपयोगी बातें सामने आती है। यही संगोष्ठी की सार्थकता है संगोष्ठी में विमल व्यास ,मरुधर बोरा,हेमलता, अरुण व्यास,राहुल आचार्य सहित कई लोगों ने अपने विचार रखें अंत में सभी का आभार मोहित पुरोहित ने ज्ञापित किया

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