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बीकानेर,देश का कोई भी बड़ा विश्वविद्यालय कई सालों में हजारों विद्यार्थियों को शिक्षित करता है। एक राम कथा या मानस महायज्ञ एक सप्ताह में विविध श्रेणी के हजारों स्त्री पुरुषों और बच्चों में ज्ञान और संस्कार की अमिट छाप छोड़ देते हैं। संत समागम समाज का केवल आध्यात्मिक शिक्षण ही नहीं है कई तरह के प्रबंध और व्यवहार इस तरह के आयोजनों के माध्यम से हजारों लोग सीखते हैं। ऐसे आयोजन हर व्यक्ति और परिवार को उत्साहित करता है। लोगों में मिलजुलकर काम करने की भावना पैदा होती है। जीवन संस्कृति, मूल्य, संस्कार और ज्ञान का प्रवाह बहता है। स्वत: स्वाभाविक रूप से लोग बहुत सारी चीजें सीखते हैं। राम झरोखा कैलाश धाम में 19 से 27 नवंबर तक आयोजित होने वाली राम कथा, राम चरित मानस महायज्ञ में पद्म विभूषण जगद् गुरु शंकराचार्य रामभद्राचार्य जी और देशभर से 200 से ज्यादा संतों का आगमन भारतीय संस्कृति का समागम है। यह धर्म, दर्शन, ज्ञान, संस्कार, व्यवहार और सनातन जीवन मूल्यों का ऐसा प्रवाह है जो समाज को कोई भी यूनिवर्सिटी सब कुछ ज्ञान के आयामों को झोंककर समाज को नहीं दे सकती। वो ज्ञान ऐसे आयोजन में श्रावकों की ग्राह्यता से सहज__ सुलभ रूप से जनता धारण कर लेती है। राम झरोखा कैलाश धाम की राम कथा का बदलते जीवन मूल्यों और संस्कारों की पुनर्स्थापना के लिए हर किसी को सहभागी होना उनके लिए भाग्यवान होने से कम नहीं है। इस आयोजन को जीवन की एकरसता को भंग कर खुद को जानने आईना मानें। जरूर आयोजन में शामिल हो। शकुन मिलेगा।

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