
बीकानेर,पर्यावरण संरक्षण के लिए हम क्या कर सकते हैं…?, इसमें हमारी भूमिका किस प्रकार निभाई जा सकती है…?, पर्यावरण संरक्षण क्यों जरूरी है…?। इन और ऐसे ही विचारों के समाधान को लेकर अणुव्रत विश्व सोसायटी के पर्यावरण प्रकल्प द्वारा पर्यावरण जागरूकता अभियान विश्व पर्यावरण दिवस अवसर पर रविवार 4 जून को इंटरनेशनल वेबीनार -2023 का आयोजन किया गया। मीडिया प्रभारी पंकज दुधोड़िया ने बताया कि कार्यक्रम में अणुविभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अविनाश जी नाहर ने अणुव्रत आचार संहिता का वाचन किया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण दिवस केवल एक दिन का ना होकर हमारे लिए यह रोज होना चाहिए। बी आई आर सी निदेशक, एसोसिएट प्रोफेसर ग्रीन केमिस्ट्री रिसर्च सेंटर के डॉ. नरेंद्र भोजक ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें यह याद रखना चाहिए कि जब तक पृथ्वी पर पर्यावरण अनुकूल है, तब तक ही मनुष्य का अस्तित्व है। अणुव्रत अमृत महोत्सव के राष्ट्रीय संयोजक संचय जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि अणुव्रत विश्व सोसायटी का पर्यावरण के संरक्षण को लेकर किया जा रहा प्रयास सराहनीय है। इसे जन -जन से जोड़ने की आवश्यकता है, इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। डॉ. नीलम जैन ने बताया कि इस इंटरनेशनल वेबीनार में विभिन्न देशों से करीब 250 लोग जुड़े और पर्यावरण संरक्षण को लेकर चर्चा की, साथ ही इसके लिए हर संभव प्रयास कर अपना योगदान देने तथा औरों को भी इसके लिए प्रेरित करने की बात कही। वेबीनार में प्रसिद्ध प्रेरक वक्ता, इस्कॉन मंदिर, द्वारिका दिल्ली के उपाध्यक्ष श्री अमोघ दास लीला जी ने बताया कि कोविड काल ने मनुष्य की पोल खोल कर रख दी, असल में पर्यावरण को प्रदुषित करने में सबसे बड़ा योगदान हमारा है। हम लोग बहुत सेल्फिश हैं। हमें नेचर की परवाह ही नहीं है। नेचर कुछ ऐसा करे कि पूरी मनुष्य जाति को नुक़सान हो, उससे पहले हमें कुछ करना चाहिए। जैसे हम प्लास्टिक का बहुत इस्तेमाल कर रहे हैं,इसे हमें कम से कम करना चाहिए। एक टीशु पेपर बनाने के लिए भी पेड़ों को काटा जाता है। लेकिन, हमें इसकी कोई परवाह नहीं है। असल में प्रकृति हमें जो दे रही है। हमें उसका सही इस्तेमाल करना चाहिए। उन्होंने उदाहरण स्वरूप श्रीमद् भागवत गीता में लिखे श्लोक के माध्यम से श्रृष्टि के गूढ़तम रहस्यों से भी अवगत कराया। वहीं तुर्की में डिजीटल डिप्लोमेसी एक्सपर्ट, कम्प्यूटर साइंस डॉ. डी.पी. शर्मा जी ने कहा कि हमें यह समझना होगा कि अपना जीवन उपयोगी कैसे बनाएं। हमने प्राकृतिक सिद्धांत को तहस -नहस कर दिया है। हमारे अंदर जो पॉल्यूशन है,वह बाहर के पॉल्यूशन को ज्यादा प्रभावित कर रहा है। उन्होंने प्रत्येक व्यक्ति से आह्वान किया कि वे अपने जीवन काल में दो पेड़ अवश्य लगाएं। वेबीनार को संबोधित करते हुए आई एस बी एम के प्रोफेसर एवं डीन डॉ. टी.के जैन ने कहा कि युवाओं को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रयास करने की महत्ती आवश्यकता है। उन्होंने इसके लिए युवाओं को कुछ टिप्स भी दिए। साथ ही पानी के उपयोग को बेहतर तरीके से करने की बात कही। इसके अलावा पौधे लगाने के साथ सरकार द्वारा इस कार्य के लिए दिए जाने वाले योगदान के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। वहीं जी.एस.फाउण्डेशन लंदन के निदेशक श्री पी आर विष्णु जी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने महत्वपूर्ण विचारों से अवगत कराया। डॉ.नीलम जैन ने बताया कि करीब दो घंटे चली वेबीनार में प्रतिभागियों ने पर्यावरण के महत्व को समझते हुए इसके लिए हरसंभव प्रयास करने की आवश्यकता जताई और इसके लिए तन-मन-धन से अणुव्रत विश्व सोसायटी का साथ देने का आश्वासन दिया। वेबीनार में अणुव्रत विश्व सोसायटी से जुड़े अध्यक्ष, मंत्रीगण पदाधिकारी, स्काउट एवं गाइड के सदस्य, पर्यावरण हितैषी, वरिष्ठ पर्यावरणविद्, श्री देवी महाविद्यालय, हनुमानगढ़ के विधार्थी सहित बड़ी संख्या में गणमान्य जन शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन पर्यावरण जागरूकता की राष्ट्रीय संयोजिका डॉ.नीलम जैन ने किया। महा मंत्री भीखम जी सुराणा ने वेबिनार की विषय में बताकर कार्यक्रम की शुरुआत की। चुरू अणुव्रत समिति द्वारा वीडियो के माध्यम से अणुव्रत गीत का संधान किया।अणुविभा द्वारा आयोजित वेबिनार से जुड़े सभी गणमान्य जन का राष्ट्रीय पर्यावरण प्रभारी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्री प्रताप जी दुगड़ ने धन्यवाद ज्ञापित किया।