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बीकानेर,अजित फाउण्डेशन द्वारा हिन्दी एवं राजस्थानी की सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ. कृष्णा आचार्य के राजस्थानी काव्य पाठ का आयोजन संस्था सभागार में किया गया। इस अवसर पर डॉ. आचार्य ने प्रीत री बाती जळे दिवळो जगमग होवें…., भांत भांत रा फूल खिल्यां, घर आंगन म्हारै द्वार….., अबे बा बात कठै…, रात रौ चितरांम…., वीर रस की कविता हीरा दे रो चरित्र चित्रण…, लोक रे रंग मांय तम्बूरे के माध्यम से आज के हालातों का सटीक चित्रण किया है। उन्होंने लोक रंग कि कविता में मिश्री रो सिट्टों…, जिंदगाणी, पिळो पोमचों, प्रदूषण, रूंख, वेलवेट रो कोट, छिमा, तिल्ली आदि अनेक कविताएं और दौहें आज के समाज से जुड़ी घटनाओं का अभूतपूर्व चित्रण किया है।

कार्यक्रम की अध्यक्ष्यता करते हुए संपादक एवं व्यंग्यकार डॉ. अजय जोषी ने कहा कि डॉ. कृष्णा आचार्य की कवितओं की सबसे बड़ी विषेषता उनकी सम्प्रेषणीयता है। इनमें गेयता भी है। डॉ. आचार्य ने अपनी कवितओं के माध्यम से राजस्थान के सभ्यता, परम्पराओं, रीति-रिवाजों, समसामयिक मुद्दों पर गहन चिन्तन के आधार पर अपने विचारों को सरल और सहज कवितओं के माध्यम से प्रस्तुत किया है। उनकी राजस्थान की विरांगनाओं के चरित्र पर आधारित काव्यकृति स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करने योग्य है।
संस्था कार्यक्रम समन्वयक संजय श्रीमाली ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाष डालते हुए बताया कि हम जो राजस्थानी भाषा की मान्यता हेतु जो संघर्ष कर रहे है उसमें यह काव्य पाठ मील का पत्थर साबित होगा। इसी तरह के आयोजनों से हमारी भाषा जन-जन तक पहुंचेगी तथा भाषा का मान बढ़ेगा।
कार्यक्रम के अंत में सुप्रसिद्ध साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम में कमल आचार्य, राजाराम स्वर्णकार, डॉ. नरसिंह बिनानी, मोहन लाल जांगिड़, बाबू लाल छंगाणी, जुगल पुरोहित, सुनील गज्जाणी, सुनिता श्रीमाली, सुमन जोषी, डॉ. अजित खत्री, आनन्द व्यास, ज्योति प्रकाष श्रीमाली, प्रहलाद ओझा, गायत्री श्रीमाली, सुषमा जांगिड़ आदि उपस्थित रहे।

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