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बीकानेर,राजस्थान विधानसभा के चुनाव में अब 9 महीने का समय बचा है। इस दौरान बजट की घोषणाओं के क्रियान्वयन तथा मंत्रियों और विधायकों की नाराजगी दूर करने के लिए अब गहलोत सरकार एक बार फिर ब्यूरोक्रेसी में बड़ी सर्जरी करने की तैयारी कर रही है।

सरकार में उच्च स्तर पर आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची पर भी गहनता से मंथन हो रहा है। मुख्यमंत्री स्तर पर भी एक-एक नाम पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। बीते महीने सरकार ने 155 आरएएस और 75 आईपीएस अधिकारियों की जम्बो तबादला सूची जारी की थी। जानकारों की मानें तो होली के बाद कभी भी कार्मिक विभाग आईएएस अधिकारियों की जंबो तबादला सूची जारी कर सकता है। सचिवालय के गलियारों में भी इसे लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं।

सरकार से जुड़े सूत्रों की मानें तो विधानसभा चुनाव से पहले ब्यूरोक्रेसी में हो रही बड़ी सर्जरी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के मंत्रियों- विधायकों की डिजायर को प्राथमिकता दे सकते हैं। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर वे उन्हें नाराज नहीं करना चाहते हैं। यही वजह है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस के मंत्रियों-विधायकों की पसंद को ट्रांसफर में प्राथमिकता दी जा सकती है। मंत्रियों विधायकों की इच्छा के मुताबिक ही उनके विभागों और जिलों में अधिकारियों की पोस्टिंग को लेकर मंथन चल रहा है। हाल ही में हुई कैबिनेट और मंत्रिपरिषद की बैठक में भी मंत्रियों ने अपनी इच्छा के मुताबिक अपने-अपने विभागों में अधिकारी नियुक्त करने की गुहार मुख्यमंत्री से की थी।

इसके पीछे अधिकारियों ने सीएम को बताया था कि अगर विभागवार जल्द से जल्द बजट घोषणाओं का क्रियान्वयन समय पर करना है तो फिर उनकी इच्छा के मुताबिक ही अधिकारी लगाए जाएं जिससे वे उन अधिकारियों के जरिए जल्द से जल्द बजट घोषणा को धरातल पर उतारे। बताया जाता है कि इसके बाद ही मुख्यमंत्री गहलोत ने तमाम मंत्रियों और कांग्रेस विधायकों को अपने अनुकूल अधिकारियों के नाम देने के निर्देश दिए थे। माना जा रहा है कि आईएएस अधिकारियों की सूची में कई जिलों के कलेक्टरों के नाम भी शामिल है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के ही जनप्रतिनिधि कई जिलों के कलेक्टर के रवैये से खुश नहीं है और उन्होंने भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से अपने-अपने जिलों के कलेक्टर को बदले जाने की मांग की थी जिसे मुख्यमंत्री ने माना था। ऐसे में कहा जा रहा है कि कई जिलों के कलेक्टर बदले जाएंगे।

गहलोत सरकार के साढ़े 4 साल के शासन में कई ऐसे मौके आए हैं जब कामकाज को लेकर गहलोत सरकार के एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों का अपने ही विभागों के प्रमुख अधिकारियों के साथ टकराव हुआ था। कई मंत्रियों ने तो अधिकारियों पर ही सरकार के काम में अड़ंगा लगाने के आरोप लगाए थे जिसके बाद उन अधिकारियों का भी तबादला किया गया था।

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