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बीकानेर ,विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सोमवार को कहा है कि मंकीपॉक्स बीमारी को अब एमपॉक्स (mpox) के नाम से जाना जाएगा। वैश्विक विशेषज्ञों के साथ सिलसिलेवार विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया है।हालांकि, एक साल तक दोनों नामों को इस्तेमाल में लाया जाता रहेगा। उसके बाद मंकीपॉक्स नाम को इस्तेमाल करने पर पूर्ण विराम लगा दिया जाएगा।

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने कहा कि दोनों नामों के इस्तेमाल के जरिए वैश्विक महामारी के प्रकोप के दौरान नाम बदलने से उत्पन्न होने वाले भ्रम को दूर करने में मदद मिलेगी। एमपॉक्स एक दुर्लभ वायरल बीमारी है। इसका संक्रमण मध्य व पश्चिमी अफ्रीका के वर्षा वन वाले इलाकों में सामने आए हैं।

अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार देश में लगभग 30,000 केस
बता दें, मई 2022 की शुरुआत से मंकीपॉक्स के मामले कई देशों में सामने आए हैं। अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार देश में लगभग 30,000 केस दर्ज किए हैं। अमेरिका में मंकीपॉक्स वायरस के अधिकांश केस पश्चिमी या मध्य अफ्रीकी देशों की बजाए यूरोप व उत्तर अमेरिका की यात्रा करने वालों में मिले हैं। अफ्रीकी देशों में यह वायरस स्थानीय स्तर पर फैल रहा है। अब तक सामने आए अधिकांश मामले प्राथमिक यौन स्वास्थ्य केंद्रों के जरिए सामने आए हैं। इनमें यौन रोगों से जुड़े केस शामिल हैं। ये सिर्फ पुरुषों के समलैंगिक सेक्स से जुड़े नहीं हैं।
टीकाकरण के बाद बीमारी में आया है सुधार
पिछले माह डब्ल्यूएचओ ने कहा था कि मंकीपॉक्स लगातार अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों के अधीन बना हुआ है। यह आपात जनस्वास्थ्य को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंता के दायरे में आता है।हालांकि, कई देशों में फैलने के बाद मंकीपॉक्स के खतरे को लेकर टीकाकरण के बाद वैश्विक स्थिति में कुछ सुधार आया है। डब्ल्यूएचओ ने क्षेत्रवार स्थिति का आकलन किया था। इसमें अमेरिका को उच्च जोखिम वाला, यूरोप को मध्यम जोखिम वाला, अफ्रीका, पूर्वी भूमध्यसागरीय और दक्षिण-पूर्व एशिया को मध्यम और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र को कम जोखिम वाला बताया था।

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