बीकानेर,बॉलीवुड एक्टर विक्रम गोखले जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं. उनकी हालत बेहद नाजुक बताई जा रही है. फिलहाल वे पंडित दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के आईसीयू में वेंटिलेटर पर हैं.
Vikram Gokhle Health Update: हिंदी और मराठी इंडस्ट्री के बेहद फेमस एक्टर विक्रम गोखले (Vikram Gokhale) के निधन की खबर चारों ओर है. हालांकि उनकी बेटी नेहा गोखले ने बताया कि एक्टर की हालत गंभीर है और उनके निधन की खबर महज अफवाह है. वहीं उनकी पत्नी वृषली गोखले ने कहा, “वह कल दोपहर कोमा में चले गये थे और उसके बाद से, वह रिस्पॉन्ड नहीं कर रहे हैं. वह वेंटिलेटर पर हैं. डॉक्टर कल सुबह तय करेंगे कि क्या करना है. सब कुछ इस पर निर्भर करता है कि उनमें इम्प्रूवमेंट हो रहा है या अभी भी कुछ रिस्पॉन्ड नहीं कर रहे हैं.”
बता दें कि तबीयत खराब होने के बाद विक्रम गोखले को पुणे के पंडित दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है. एक्टर की बेटी ने बताया है कि एक्टर की हालत नाज़ुक है, फिलहाल वो वेंटिलेटर पर हैं.
5 नवंबर से अस्पताल में भर्ती हैं
विक्रम गोखले की पत्नी ने बताया कि वह 5 नवंबर से दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में भर्ती हैं.उन्होंने कहा, “वह थोड़ा बेहतर हुए लेकिन फिर से उनकी तबीयत बहुत बिगड़ गई.उन्हें दिल और किडनी जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा है. फिलहाल, उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया है.”विक्रम गोखले की पत्नी ने आगे कहा कि उनके पति 77 साल का है न कि 82 साल का. उन्होंने आगे कहा, “सैन फ्रांसिस्को से मेरी बेटी आ गई है. दूसरी यहीं पुणे में है, वह मुंबई में रहती है.”
मराठी मंच से शुरू की थी जर्नी
मराठी मंच से अपनी जर्नी शुरू करने वाले गोखले ने कई हिंदी और मराठी फिल्मों में अपनी पहचान बनाई और 2013 में मराठी फिल्म ‘अनुमति’ के लिए 60वें राष्ट्रीय पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता था.उनके लंबे और शानदार करियर की हाइलाइट्स में हिट बॉलीवुड फिल्म ‘हम दिल दे चुके सनम’ में ऐश्वर्या राय के एक सख्त और पारंपरिक पिता की भूमिका थी. इस रोल से उन्हें काफी पॉपुलैरिटी मिली थी.गोखले ने 1989 की फिल्म ‘सलीम लंगड़े पे मत रो’ में सलीम के पिता और 2019 के ‘मिशन मंगल’ में इसरो के निदेशक की भूमिका निभाई. 1971 में गोखले की पहली फिल्म, ‘परवाना’ में उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ काम किया था और दोनों की एक लंबे समय तक चलने वाली दोस्ती रही, जो अग्निपथ (1990) और खुदा गवाह (1992) में भीस्क्रीन शेयर करने के दौरान चलती रही.
उनकी अन्य प्रमुख फिल्मों में ‘भूल भुलैया’, ‘ट्रैफिक’, ‘हिचकी’ और ‘अब तक छप्पन’ शामिल हैं. उनकी मराठी फिल्मों में ‘आमी बोलातो मराठी’, ‘लपंडाव’, ‘कलात नकलत’, ‘गोदावरी’, ‘एबी आनी सीडी’, ‘प्रवास’ और ‘नटसम्राट’ शामिल हैं. उन्होंने मराठी फिल्म ‘आघाट’ में अभिनय और निर्देशन भी किया.