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बीकानेर,पेंसिल से खेलते-खेलते अपने खिलोने में दादा को भी जगह दे दी। मेरे शहर के छोटे कद के बड़े पेंटर धर्मा के बनाये चित्र को मिनटो में बना दिया । सेठ धनंजय नारायण जी जोशी केंद्रीय विद्यालय नंबर- 1में कक्षा- 2 के विद्यार्थी हैं और वह पढ़ाई के साथ साथ चित्रकारी में भी रुचि रखते हैं ,ढेर सारी चित्रकला की कॉपियां कलर इत्यादि बाजार से अपने दादा के साथ लेकर आते हैं ना दिलाओ तो लड़ने लगते हैं, कई बार तो रात हो जाती है देर रात तक फोन करके ड्राइंग की कॉपी लाने का आदेश दे डालते हैं जब दादा रात को लेकर आते हैं तो रात को ही चित्र बनाने लगते हैं अभी अगले महीने 7 वर्ष का पूरा होगा , लगता है कि अब तक 70 से अधिक ड्राइंग की कॉपियां भर डाली। मजा तो जब आया तब अपने दादा की कहानियाँ पढ़ते-पढ़ते उसके मन में ड्राइंग रूम में लगे हुए चित्रों को देखकर चित्र बनाने की इच्छा जागृत हुई दादा के बहुत सारे चित्र ड्राइंग रूम में लगे हुए थे, उसमें से सेठ धनंजय ने धर्मा के चित्र को चयन किया और उसी को देखकर लगभग 13 मिनट में यह चित्र बना डाला । मुझे तुम पर पूरा भरोसा है, मैं गदगद हूं, गौरवान्वित हूं कि तुम या तो कलम चलाओगे या कूची चलाओगे। परंतु मुझे लगता है कि तुम दोनों ही चलाते रहोगे तुम्हारी कलम और कूची यूं ही चलती रहे खूब आशीर्वाद धनंजय

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