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बीकानेर,दिवाली की रात को माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। बंगाल में माता काली की पूजा की जाती है। दोनों की ही पूजा करने का एकदम सरल तरीका या पूजन की विधि जानिए पूजन सामग्री के साथ।उल्लेखनीय है कि 24 अक्टूबर 2022 सोमवार को दिवाली का पावन उत्सव मनाया जाएगा।

लक्ष्मी पूजा की सामग्री | : हल्दी, कुमकुम, चावल, अबीर, गुलाल, मेहंदी, केले के पत्ते, गन्ना, खील-बताशे, पांच तरह की मिठाई, घी, तेल, दीपक, नाड़ा, रुई, रोली, चौकी, तुलसी, मौली, कपूर, चंदन, धूप बत्ती, अगरबत्ती, सुपारी, नारियल, पांच तरह के फल, सिंघाड़ा, सीताफल, आम के पत्ते, पान, फूल, चांदी का सिक्का, फूलमाला, कमलगट्ठे, कमल का फूल, पान के पत्ते, आरती की थाली, तांबे का लोटा, इत्र की शीशी, नैवेद्य।

लक्ष्मी पूजन की सरल विधि |

1. पवित्र होकर पूजा स्थल को साफ सुधरा करके वहां गंगाजल छिड़कें। पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है।

2. अब उस स्थल पर स्वस्तिक बनाएं और उसके ऊपर एक मुठ्ठी चावल रखें।3. इसके बाद माता लक्ष्मी, श्रीगणेश और कुबेरजी को विराजमान करने के लिए लकड़ी का पाट रखें।

4. पाट के ऊपर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर उस पर माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र को रखें।

5. चित्र या मूर्ति को साफ करने या गंगाजल छिड़कने के बाद अब उनके समक्ष अगरब्ती, धूप, दीप आदि प्रज्वलित करें।

6. अब माता के चित्र के आसपास केले के पत्ते रखें और गन्ना रखें।

7. अब माता की सभी प्रिय वस्तुएं उन्हें अर्पित करें। जैसे कमल का फूल, सिंघाड़ा, पीली मिठाई, कमलगट्टा आदि।

8. फिर मां लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा करें। उन्हें सबसे पहले फूल की माला पहनाएं और हल्दी, कुंकू एवं चावल लगाएं।

9. अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी) लगाना चाहिए।

10. सभी सामग्री अर्पित करने के बाद माता की आरती उतारें। आरती में घर के सभी सदस्य सम्मलित हों।

11. पूजा और आरती के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ाएं। ध्यान रखें कि नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नैवेद्य में नहीं किया जाता है। प्रत्येक पकवान पर तुलसी का एक पत्ता रखा जाता है।

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