बीकानेर,राजस्थान गो सेवा परिषद का एकमात्र ध्येय गोपालक़ को गोबर गोमूत्र का पैसा मिले। गोबर खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाए। यह रसायनिक खेती का विकल्प बने। ऐसा अब राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक रूप से संभव होने वाला है। भारत सरकार ने 9.50 करोड़ की लागत (एनडीडीबी मृदा) नेशनल डेयरी विकास बोर्ड मृदा कंपनी गठित की है। यह मृदा कंपनी गोबर से बिजली, बायो गैस और जैविक खाद बनाएगी। कंपनी देशभर में गोबर से बने खाद का प्रबंधन करेगी। इससे एलपीजी गैस की खपत का 50 फीसदी और एन पी के ( खाद ) की 44 फीसदी मांग पूरी हो सकेगी। इस उत्पाद का कारोबार सुधी के नाम से किया जाएगा। इसका ट्रेड मार्क ले लिया गया है। पहला प्लांट यू पी वाराणसी में लग गया है। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की यह सहयोगी कंपनी है। जो डेयरी संयंत्रों के लिए खाद, बायो गैस आधारित सी एन जी और बिजली उत्पादन करेगी। राजस्थान गो सेवा परिषद 2016 से इस मुद्दे पर अलख जगाए हुए हैं। ऊर्जा का सतत स्त्रोत गोबर से खाद व गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने को लेकर परिषद ने जयपुर में राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किए। जिसमें भारत सरकार और राज्य सरकार के मंत्री शामिल हुए और मुद्दे को समर्थन दिया। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के तत्कालिक अध्यक्ष बल्लभ भाई कथिरिया को परिषद की इस अवधारणा से अवगत करवाया गया। डा. कथिरिया ने परिषद की इस योजना को भारत सरकार के नीति आयोग के समक्ष भी रखा। राजस्थान सरकार के प्रमुख शासन सचिव कृषि के निर्देश पर गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने की विधि विकसित करने के लिए कृषि व वेटरनरी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की कमेटी ने खाद व कीट नियंत्रक बनाने की विधि विकसित की। अभी राजस्थान में गोबर से खाद और गोमूत्र से कीट नियंत्रक बनाने के मुद्दे पर राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के बीच एम ओ यू के तहत काम चल रहा है। अभी बीकानेर के संभागीय आयुक्त डा. नीरज के.पवन के निर्देशन वेटरनरी विवि, कृषि व पशु पालन विभाग परिषद के साथ मिलकर जिले के प्रत्येक गांव के दो दो युवकों को खाद व कीट नियंत्रक बनाने का प्रशिक्षण देने की योजना पर काम कर रहे हैं। इससे गांव गांव में खाद व कीट नियंत्रक उत्पादन के केंद्र स्थापित हो सकेंगे। भविष्य में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड मृदा कंपनी गोधन बाहुल्यता के आधार राजस्थान में भी गोबर से जैविक खाद,ऊर्जा ( बिजली), बायोगेस बनाने का प्लांट लगा सकती है। राजस्थान सरकार को भी इस दिशा में पहल करने की जरूरत है। समय आएगा गोमय वसते लक्ष्मी की शाश्वत अवधारणा सिद्ध होगी। गोबर गोमूत्र का गोपाल को भी बाजार मूल्य मिलेगा।
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