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बीकानेर,मिशन अगेंस्ट डेंगू के तहत सीएमएचओ डॉ. बी.एल. मीणा के नेतृत्व में स्वास्थ्य दल द्वारा लक्ष्मीनाथ जी मंदिर परिसर व आस-पास एंटी लार्वा गतिविधियाँ करते हुए बड़ी तादाद में पनप रहे मच्छरों के लार्वा नष्ट कर जन जागरण किया गया। मौके पर उपस्थित पुजारियों व आम जन से अपने घर व आस-पास मच्छरों की रोकथाम की अपील की तथा शहर में इस मिशन को गति देने हेतु अधिकारीयों से विमर्श किया। स्वास्थ्य विभाग के दल में शामिल डॉ अनिल वर्मा व एपिडेमियोलोजिस्ट नीलम प्रतापसिंह द्वारा सघन एंटी लार्वा गतिविधियाँ करते हुए मच्छरों की फेक्ट्रीयों को बंद करवाया गया। डॉ. मीणा ने आम जन को हिदायत दी कि वे किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा मच्छर मारने का इंतजार करने की बजाय इस आसान से कार्य को नियमित रूप से स्वयं करें। पशुओं की पानी की कुण्डियों में खाद्य तेल डाला गया और हर सप्ताह इसे दोहराने का संकल्प दिलाया गया।

“गत वर्ष देश भर में डेंगू का प्रकोप रहा है। इसके मद्देनजर हमें वर्षा ऋतु मे अत्यधिक सावधानी बरतनी होगी और मच्छरों को पनपने से रोकना होगा। विभाग अपना पूरा जोर लगा रहा है, आमजन को भी जुडना होगा।” — डॉ. बी.एल. मीणा

*दो दिन में किया 35,563 घरों का सर्वे*
डॉ मीणा ने बताया कि 18 से 25 जुलाई तक जारी विशेष डेंगू रोधी अभियान के अंतर्गत जिले भर में एंटी लार्वा गतिविधियां की जा रहीं हैं। प्रत्येक पीएचसी-सीएचसी व उपकेन्द्र को अपने-अपने क्षेत्र में मच्छरों की फेक्ट्रियां बंद करवाने के लिए पाबन्द किया गया है। जिले भर में 500 से ज्यादा स्वास्थ्य दल प्रतिदिन मच्छरों की रोकथाम में लगे हैं। इनके द्वारा गत 2 दिवस में 35,563 घरों का सर्वे किया गया। इनमें 84 घरों में मच्छरों के लारवा पाए गए, कुल 3,344 साफ पेयजल पात्रों व स्थानों में टेमीफोस डलवाया गया, रूके हुए गंदे पानी के 3,313 स्थानों पर एमएलओ डाला गया। सर्वे के दौरान कुल 115 व्यक्ति बुखार से पीड़ित पाए गए जिन्हें रेफर कर स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच करवाई गई। 204 व्यक्तियों में सर्दी जुकाम के लक्षण पाए गए तथा 107 व्यक्तियों की मलेरिया जांच के लिए रक्त पट्टिकाएं बनाई गई। आमजन को पम्फलेट वितरण व आईपीसी द्वारा जागरूक किया गया।

*एंटी लार्वल एक्टिविटी*
एपिडेमियोलोजिस्ट नीलम प्रतापसिंह के अनुसार मच्छरों की रोकथाम का सबसे प्रभावी तरीका होता है एंटीलार्वल एक्टिीविटी, जिसके तहत् मच्छरों को पनपने से ही रोक दिया जाता है। इस क्रम में गंदे पानी के इकट्ठा होने पर एमएलओ/काला तेल/पाइरेथ्रम छिड़काव, साफ पानी के तालाबों पर बीटीआई, पेयजल में टेमीफोस, खाद्य तेल, घरों में पाइरेथ्रम स्प्रे तथा जल स्त्रोंतो में मच्छर का लार्वा खाने वाली गम्बूशिया मछली डलवाने का कार्य जोरों पर है। आम जन को इस मुहीम से जुड़ते हुए एंटी लार्वा गतिविधियों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना होगा। पक्षियों के लिए रखे जाने वाले परिंडों को सप्ताह में एक बार खाली कर उन्हें बर्तन साफ करने वाले झामे से रगड़ कर, साफ कर व सुखाकर मच्छर के अण्डे एवं लार्वा नष्ट कर पुनः भरा जाये। कूलर, फ्रीज के पीछे की ट्रे, गमले, फूलदान इत्यादि हेतु भी यही प्रक्रिया अपनानी जानी चाहिए। इसके साथ ही छत पर रखे टूटे-फूटे सामान, कबाड़-टायर इत्यादि को हटाकर पानी इक्कठा होने से रोका जाये। पानी की टंकी एवं अन्य बर्तनों को ढंक कर रखा जाये जिससे मच्छर उनमें प्रवेश कर प्रजनन न कर सकें।

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