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बीकानेर,गंगाशहर। युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के अज्ञानुवर्ती मुनि श्रीशांतिकुमारजी, विद्वान शिष्य मुनि जितेंद्रकुमारजी आदि ठाणा-9 के सान्निध्य में शनिवार को तेरापंथ के नवम अधिशास्ता अणुव्रत प्रवर्तक आचार्य श्री तुलसी की मासिक पुण्यतिथि पर उनके समाधि स्थल नैतिकता के शक्तिपीठ का ‘महाप्राण गुरुदेवÓ भजन संध्या का समायोजन हुआ। जिसमें अनेक सुमधुर संगायकों ने भक्तिरस से ओतप्रोत गीतों का संगान किया। इससे पूर्व प्रात: ‘नवयुग के नवनिर्माता : आचार्य तुलसीÓ विषय पर विशेष व्याख्यानमाला का आयोजन हुआ। प्रारंभ में मुनि अनुशासन कुमार जी ने गीत द्वारा मंगलाचरण किया एवं आचार्य तुलसी का जाप करवाया। व्याख्यानमाला में मुनि शांतिकुमार जी ने कहा- गणाधिपति गुरुदेव श्री तुलसी का व्यक्तित्व, कर्तृत्व और नेतृत्व अतुलनीय था। वे एक महान समाज सुधारक थे जिन्होंने लम्बी लम्बी पदयात्राएं कर अणुव्रत के द्वारा जन मानस के जीवन में सात्विक परिवर्तन लाने का महनिय कार्य किया।
मुख्य उद्बोधन देते हुए मुनिश्री जितेंद्रकुमारजी ने कहा कि आचार्य तुलसी का युग नवनिर्माण का युग था। उन्होंने 22 वर्ष की युवा अवस्था में तेरापंथ की बागडोर संभाली और आज तेरापंथ को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। देश की आजादी के बाद उन्होंने अणुव्रत आंदोलन का आगाज किया जो मानव को मानव बनाने का एक महान आंदोलन बना। अणुव्रत एक उद्यान की तरह है जो वर्गातीत है। हर जाति, वर्ग, धर्म के लोग अणुव्रत के नियम स्वीकार कर अपने जीवन में निखार ला सकते है। अणुव्रत उस विद्यालय के समान है जो व्यक्ति को मानव बनने की शिक्षा देता है। आचार्य तुलसी के अवदान युग के लिए वरदान समान है। इस अवसर पर मुनि श्रेयांशकुमारजी, मुनि विमलबिहारीजी, मुनि अनेकांत कुमार जी ने भी आचार्य तुलसी को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए अपने विचारों की प्रस्तुति दी। आचार्य तुलसी शांति प्रतिष्ठान की ओर से अध्यक्ष महावीर रांका ने मुनि वृंद के प्रति आभार व्यक्त किया। मंत्री हंसराज डागा ने वक्तव्य दिया।
महाप्राण गुरूदेव : भव्य भजन संध्या
सायं 07 से 08 शनिवार की सामूहिक सामायिक के पश्चात भव्य भजन संध्या का प्रारंभ हुआ। जिसमें भीलवाड़ा से समागत संजय भानावत ने अपने भजनों से समां बांध दिया। कार्यक्रम में गायिका विजयलक्ष्मी बैद, वनिता भानावत, कोमल पुगलिया, यश बैद, भजन मंडली ने भी अपने सुमधुर गीतों से पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। मंच संचालन दीपक आंचलिया ने किया। संस्थान से जुड़े पदाधिकारियों ने गायकों का मॉमेंटो एवं साहित्य द्वारा सम्मान किया।

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