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बीकानेर,राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से शुरू किए गए ग्राम पंचायत, जिला, संभाग व राज्य स्तर पर प्रशासनिक अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों (सरपंच से लेकर मंत्री,मुख्यमंत्री) तक शुरू की गई जन सुनवाई योजना के प्रदेश में सार्थक परिणाम मिल रहे है। आम लोगों को सरकारी कार्यालयों में चक्कर लगाने, धन व समय व्यय करने के साथ भ्रष्टाचार व अनियमितताओं से निजात मिली है। जन सुनवाई पोर्टल भी आम जन के लिए कारगर साबित हो रहा है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जन सुनवाई पोर्टल शुरू करने के साथ सभी प्रशासनिक अधिकारियों को निर्धारित वार व तिथि को जन सुनवाई के आदेश दिए। माननीय मुख्यमंत्री की सोच थी की नागरिक अपनी शिकायत को लेकर सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटे, किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करें। मुख्यमंत्री की सोच को प्रदेश के जन प्रतिनिधियों व प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अमलीजामा पहनाने से शहरी व ग्रामीण क्षेत्र की जन समस्याओं का समाधान निर्धारित समय से पूर्व अपनी समस्या का समाधान होने से लोग शासन प्रशासन के इस अभिनव अभियान की तारीफ कर रहे है। व्यक्तिगत जन सुनवाई के दौरान प्रशासनिक अधिकारी राजस्थान जन सम्पर्क पोर्टल पर भी ऑन लाइन शिकायतों को दर्ज कर रहे है तथा वाकायदा फरियादी को रसीद भी व मैसेज के माध्यम से सूचना दे रहे है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीकानेर में कुछ माह पूर्व जन सुनवाई की। जन सुनवाई के दौरान अंत्योदय परिवार की श्रीमती शांति देवी पत्नी स्वर्गीय झंवर लाल सोनी ने अपने पति को 51 वर्ष पूर्व आवंटित कृषि भूमि का पता लगाने, खातेदारी व मालिका हक दिलाने की अपील की। मुख्यमंत्री ने बीकानेर के प्रतिभावान कलक्टर भगवती लाल कलाल को 50 साल पुरानी पहेली बनी समस्या का समाधान करने का जिम्मा सौंपा। कलक्टर ने चुनौती के रूप में इस समस्या का समाधान करने की ठानी । उन्होंने राजस्व विभाग के अनुभवी अधिकारियों, कर्मचारियों व पटवारियों को श्रीमती शांति देवी के पति की भूमि ढूंढने में लगाया । अपने स्तर पर जिला परिषद, कलक्टर कार्यालय सभाकक्ष व पूगल में आयोजित जन सुनवाई में समस्या के समाधान के लिए पीड़ित पक्ष व अधिकारियों से रूबरू करवाया तथा हर हाल में फरियादी को राहत देने के निर्देश दिए।
कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल की परोपकार व सेवा भावना के साथ राजकीय कार्य कर्तव्य, निष्ठा व ईमानदारी से कार्य करने की लगन कुछ माह बाद ही कारगर साबित हुई। उन्होंने श्रीमती शांति देवी के पति स्वर्गीय झंवर लाल सोनी की भूमि को जिले की पूगल तहसील के भानीपुरा में पता करवाकर उसके दस्तावेंज प्रदान किए तथा खातेदारी अधिकार, नामान्तरण जैसे कार्य को चंद दिनों मेंं करवाने का आश्वसान देकर जिले ही नहीं प्रदेश में अनुकरणीय व अनूठा उदाहरण पेश किया है।
कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने सोमवार 13 जून 2022 को श्रीमती शांति देवी को कलक्टरी बुलाया। अस्थमा की बीमारी के कारण सांस लेने व सीढ़ियां चढ़ने में तकलीफ के कारण स्वयं कलक्टर कलाल नीचे आएं तथा श्रीमती शांति देवी को भूमि के दस्तावेज सौंपे । इस अवसर पर पूगल के तहसीलदार रामेश्वर व अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। वृद्धा शांति देवी ने शासन, प्रशासन व कलक्टर कलाल के प्रयास को सराहनीय बताते हुए आशीर्वाद दिया।
प्रकरण ये था-पारीक चौक में रहने वाले झंवर लाल सोनी पुत्र प्रताप चंद सोनी कचहरी में पान की दुकान तथा बरानी खेतीबाड़ी का कार्य करते थे । उन्होंने भूमिहीन के रूप् में 52 साल पहले आवेदन किया। उन्हें 3 अगस्त 1971 को भानीपुरा, ग्राम पंचायत अमरपुरा, राजस्व तहसील पूगल में करीब 25 बीघा जमीन आवंटित की गई। तपेदिक की बीमारी के कारण स्वर्गीय झंवर लाल सोनी(सुनार) का आसामयिक निधन 1977 में हो गया। घर के मुखिया के बीमारी के बाद निधन से उनकी पत्नी श्रीमती शांति देवी आवंटित जमीन व उसके कागजात को भूलकर मेहनत, मजदूरी कर अपने छह छोटे बच्चों के पालन पोषण में लग गई। अर्थाभाव में बच्चों को पढा लिखा नहीं सकी, दो पुत्रों चाय के ठेले व अन्य मजदूरी में लगा दिया चार पुत्रियों की पारिवारिक सहयोग देवी सहयोग से शादी कर दी।
जब भी समय मिलता अपने पति की धरोहर के रूप् में आवंटित भूमि का पता लगाने जिले के उप निवेशन, राजस्व विभाग, उप खंड अधिकारी व तहसील कार्यालयों में 40 साल तक चक्कर लगाएं। पति के निधन के बाद खुर्द बुर्द हुए जमीन के पट््टे व आवंटन पत्र के कारण जमीन का पता लगाना दुष्कर कार्य था। कार्यालयों में यही कहा जाता ’माताजी ऐसे जमीन का पता नहीं लगेगा, कोई रसीद या आवंटन पत्र आदि हो तो लाइए वरना समय बर्बाद नहीं करें। जमीन को खोजते हुए 50 वर्ष हो गए, शांति देवी की उम्र भी 80 साल हो गई। दो बेटों व परिजनों ने अनेक बार जमीन को ढूंढने का प्रयास किया लेकिन वह निर्थक ही रहा।
हुआ यूं की स्वर्गीय श्री झंवर लाल सोनी पुत्र प्रताप चंद सोनी की भूमि का कर्मचारियों की गफलत या भूल से ऑन लाइन व पुराने रिकार्ड में गलत नाम दर्ज कर दिया। झंवर लाल की बजाए भंवर लाल तथा सोनी की जगत जैन अंकित कर दिया। ऐसे में जमीन को ढूंढना आकाश से तारे तोड़ने जैसा कार्य था। जिला कलक्टर भगवती प्रसाद के व्यक्तिगत रूचि व प्रशासनिक सुझबूझ से 50 साल पुराने प्रकरण की बारीकी से जांच करवाकर सही भूमि के मालिक को मालिका हक दिलवाने के प्रयास की प्रथम कड़ी में विजय हासिल कर शासन प्रशासन की प्रतिष्ठा को चार चांद लगा दिए तथा वृद्धा शांति देवी से यशस्वी, तेजस्वी व प्रगतिमय जीवन का आशीर्वाद प्राप्त किया।

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