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बीकामेर,भाजपा ने परिवारवाद रोकने के लिए वन फैमिली-वन टिकट का फॉर्मूला दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भोपाल में 1 जून को इसकी घोषणा की। नड्डा ने कहा भाजपा अपनी पार्टी में नेताओं के बच्चों को टिकट नहीं देगी। बेटे को टिकट देना है, तो खुद को हटना पड़ेगा। यह फॉर्मूला लोकसभा से लेकर निकाय सहित सभी चुनाव पर भी लागू होगा।

इस घोषणा से राजस्थान की 3 दर्जन से ज्यादा पॉलिटिकल फैमिली को झटका लगा है। खासतौर से उन्हें जो विधानसभा से लेकर पंचायत चुनावों में अपने बेटों-बहुओं या सगे संबंधियों को टिकट दिलाने का सपना देख रहे थे।

राजस्थान में 2023 में विधानसभा और 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में इस फॉर्मूले के बाद टिकट बांटने को लेकर नई चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी। सबसे बड़ा सवाल पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके बेटे सांसद दुष्यंत सिंह को लेकर है कि दोनों में से किसे टिकट मिलेगा।

भास्कर ने एनालिसिस किया कि यदि राजस्थान में वन फैमिली-वन टिकट फॉर्मूला लागू हुआ तो कद्दावर सियासी परिवारों के समीकरण कैसे बदल जाएंगे। उन परिवारों से भी बात कर यह जाना कि वे खुद चुनाव लड़ेंगे या बेटे के लिए टिकट मांगेंगे।

भाजपा की परिवारवाद की परिभाषा
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि हमें परिवारवाद के कॉन्सेप्ट को समझना होगा। हमारा मानना है कि पिता अध्यक्ष, बेटा जनरल सेक्रेटरी। पार्लियामेंट्री बोर्ड में चाचा-ताया-ताई। यह परिवारवाद है। उत्तर प्रदेश चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कई सांसदों के बेटे राजनीति में अच्छा काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। वहां कह दिया गया है कि नेताओं के बेटे फिलहाल संगठन के काम में लगे रहें।

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