बीकानेर,। जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े में जारी गतिविधियों के क्रम में शनिवार को पीबीएम अस्पताल के गायनी विभाग में प्रसव पश्चात 48 घंटे में इंट्रा यूटेराइन कॉण्ट्रासेप्टिव डिवाइस यानी कि पीपीआईयूसीडी से संबंधित चिकित्सकों व स्टाफ नर्स का प्रशिक्षण आयोजित किया गया। मुख्य प्रशिक्षक विशेषज्ञ डॉ एनके पारीक ने डिवाइस को बिना छुए संक्रमण से बचते हुए आईयूसीडी इंसर्शन की तकनीक समझाई। डिप्टी सीएमएचओ परिवार कल्याण डॉ योगेंद्र तनेजा ने पीबीएम अस्पताल में होने वाले कुल प्रसव का कम से कम 25% को पीपीआईयूसीडी से लाभान्वित करने का आह्वान किया ताकि दो बच्चों के बीच अंतर कम से कम 3 साल के अंतर को सुनिश्चित कर मातृ शिशु स्वास्थ्य को सुनिश्चित किया जा सके। प्रशिक्षण के दौरान गायनी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ संतोष खजोटिया, डॉ स्वाति फालोदिया, डॉ मोनिका सोनी सहित सीनियर रेजिडेंट व चिकित्सक मौजूद रहे।
*क्या है आईयूसीडी ?*
डॉ तनेजा ने बताया कि आईयूसीडी या कॉपर-टी एक अन्तरागर्भाशयी उपकरण है। यह विकल्प अक्सर 2 बच्चों में अंतर रखने के लिए दिया जाता है । इस उपकरण को महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है। इससे मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता। जब दंपत्ति को अगले बच्चे की इच्छा हो, तो वह यह डिवाइस गर्भाशय से निकलवा सकते हैं। यह दो प्रकार में उपलब्ध है।
*पीपीआईयूसीडी पर 300 रुपए प्रोत्साहन*
सहायक लेखाधिकारी अनिल आचार्य ने बताया कि कुल प्रोत्साहन राशि के 600 रूपए में से 300 रूपए लाभार्थी को, 150 रूपए प्रशिक्षित सेवा प्रदाता / एएनएम /चिकित्सक को तथा 150 रूपए लाभार्थी को प्रेरित करने वाली आशा सहयोगिनी को दिए जाते हैं। लाभार्थी को ये राशि 2 चरणों में देय है। 150 रूपए आईयूसीडी लगाने पर और शेष 150 रूपए दूसरे फोलोअप के बाद। लाभार्थी को कम से कम 2 बार फोलोअप के लिए आना होगा ताकि ये तय हो सके की डिवाइस सही तरह से लग चुकी है। आशा को देय प्रोत्साहन राशि आशा सॉफ्ट के माध्यम से तथा लाभार्थी व सेवा प्रदाता को देय राशि अकाउंट पेयी चेक के माध्यम से देय है।
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