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बीकानेर.जिले में पदस्थापित अधिकारियों के ऊंचे रसूखात लोकल व्यवस्थाओं को निचोड़ रहे हैं। लंबे समय से जिले में होने से स्थानीय लोग व जनप्रतिनिधि उनके प्रभाव में हैं। बीकानेर जिले में कई पुलिस अधिकारी व कर्मचारी ऐसे हैं, जो सालों से जमे बैठे हैं। नतीजन भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूत हो रही है। गंगाशहर थाने के पूर्व एसएचओ राणीदान उज्ज्वल को ही ले लीजिए। पूर्व में भ्रष्टाचार के आरोप लगे और सस्पेंड हुए। फिर बहाल होकर वापस बीकानेर जिले में पदस्थापन हो गया। अब फिर एसीबी में मामला दर्ज है। ऐसे कई पुलिस अधिकारी हैं, जो बीकानेर को छोड़कर जाना ही नहीं चाहते। जिले में चार साल से ज्यादा बीकानेर रेंज में कई पुलिस अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें चार से साढ़े चार साल हो गए हैं। वहीं बीकानेर जिले में चार पुलिस निरीक्षकों को एक ही जगह पदस्थापित हुए लम्बा समय हो गया है। एक जगह जमे पुलिस अधिकारी अपने पद व पदस्थापन जिले से मोह नहीं छोड़ रहे हैं। इन अधिकारियों का तबादला किया भी जाता है, तो वह अटैचमेंट के नाम पर वापस उसी जिले में आ धमकते हैं। पुलिस महकमा ही नहीं, अन्य विभागों के भी यही हालात हैं। बीकानेर जिले में ऐसे अधिकारी सर्वाधिक हैं इनकी जड़ें गहरी जिले में कुछेक अधिकारी ऐसे हैं जो लंबे समय से यहां पर काबिज हैं। एसीबी में पदस्थापित एएसपी रजनीश पूनिया, पुलिस निरीक्षकों में मनोज माचरा, रमेश सर्वटा, ईश्वरप्रसाद जांगिड़, ईश्वरानंद, मनोज शर्मा, प्रदीप सिंह चारण, सुभाष बिजारणिया आदि अधिकारियों को जिले में चार साल या इससे अधिक समय हो गया है। कार्य का मूल्यांकन, फिर कार्रवाई पुलिस महकमे में अधिकारियों के कार्य मूल्यांकन के आधार पर पदस्थापन व तबादले किए जाने चाहिए। ऊंचे रसूखात व जनप्रतिनिधियों से संबंध से दबदबा रखते हैं। पुलिस मुख्यालय को चाहिए एसएचओ का कार्यकाल एक थाने में लंबे समय तक न हो, तभी व्यवस्थाएं सुधरेंगी। ओमप्रकाश जोशी, सेवानिवृत्त आरपीएस एवं वरिष्ठ अधिवक्ता

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