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बीकानेर,दशकों से वैज्ञानिक यह अध्ययन कर रहे हैं कि शराब का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है। कुछ अध्ययनों में कहा गया है कि कम मात्रा में शराब का सेवन करने से सूजन या प्रदाह में कमी आती है, रक्त चाप में सुधार आता है और हृदय रोग से मृत्यु का जोखिम भी कम रहता है। कुछ अध्ययनों में यह भी पाया गया है कि शराब के सेवन से कई प्रकार के कैंसर रोग और समय के साथ मस्तिष्क संकुचन का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए सवाल यह उठता है कि कम मात्रा में शराब का सेवन अच्छा है या बुरा? शोधकर्ताओं ने हाल ही शराब सेवन से संबंधित जीन और हृदय के स्वास्थ्य के बीच संबंध का विश्लेषण किया तो पाया कि शराब का सेवन चाहे कितनी भी मात्रा में किया जाए, रोग होने की आशंका बढ़ जाती है। ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर शोध अनुसंधान के लिए सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध आंकड़ों के यूके बायो बैंक ने करीब चार लाख लोगों के आनुवाशिक और चिकित्सकीय आंकड़ों का परीक्षण किया। इस बायोबैंक में आनुवांशिक, जीवन शैली और स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां समाहित हैं।

शोध निष्कर्षों के अनुसार कम मात्रा में शराब के सेवन से भी हृदय रोगों की काफी संभावना रहती है, जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय धमनी रोग आदि। अगर मात्रा बढ़ा दी जाए, तो जोखिम भी बढ़ जाता है। ऐसा कहना भी सही नहीं है कि रेडवाइन के कम मात्रा में सेवन से हृदय रोग का खतरा कम हो जाता है। मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल में हृदय रोग विशेषज्ञ कृष्णा अरगम के अनुसार जो लोग कम मात्रा में शराब का सेवन करते हैं, वे उनके मुकाबले स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक होते हैं, जो बिल्कुल भी शराब नहीं पीते। जैसे धूम्रपान कम करना कसरत ज्यादा करना, सेहतमंद खान-पान अपनाना ये सब हृदय के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं। वे कहते हैं कि आहार और कसरत के कारण ही हृदय रोग का खतरा घट जाता है, जिसे कम मात्रा में शराब के सेवन से जोड़ दिया जाता है। यहां तक कि जिस रेड वाइन को हृदय रोग के लिए कई बार अच्छा बताया गया, उसके भी बहुत अधिक फायदे नजर नहीं आते।

क्लीवलैंड क्लिनिक में हृदय रोग विशेषज्ञ स्टेनले हैजन के अनुसार वे अपने मरीजों को दिए जाने वाले परामर्श बदलेंगे। पहले जहां वे कुछ मात्रा में शराब के सेवन को फायदेमंद बताते थे, अब कम करने के लिए कहेंगे। अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि कम मात्रा में शराब का सेवन कई प्रकार के कैंसर रोग का कारण हो सकता है, जैसे मुंह और गले, आवाज बॉक्स, घेंघा, पेट और गुदा कैंसर कम से लेकर ठीकठाक मात्रा में शराब के सेवन से महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में कैंसर नियंत्रण व जनसंख्या विज्ञान के विभागाध्यक्ष अर्नेस्ट हॉक के अनुसार, शराब से कैंसर होता ही है; इसका कोई एक खास तरीका नहीं है। कई अन्य तरीके हैं, जिनके चलते शराब से कोशिकाओं में विशाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं, जो समय के साथ कैंसर में तब्दील हो जाते हैं। हालांकि कैंसर में शराब की कितनी भूमिका है, यह अनुमान लगाना कठिन है। कारण कि आहार और कसरत जैसे घटकों का भी इस पर असर पड़ता है। इनकी कमी भी कैंसरकारक हो सकती है। शराब के आदी लोग स्वस्थ जीवन शैली से दूर ही रहते हैं। इससे यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि सेहत खराब करने में शराब का योगदान कितना है। अचरज नहीं कि शराब का अति या कम सेवन दोनों से ही समस्या हो सकती है। इससे लीवर खराब होता है, जो आगे चल कर लीवर कैंसर में बदल सकता है। प्रत्येक व्यक्ति के स्वास्थ्य, जीन, उम्र और लिंग के आधार पर भी शराब सेवन की मात्रा तय की जा सकती है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति पर शराब सेवन का असर अलग-अलग होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, चिकित्सकों को शराब सेवन से हृदय स्वास्थ्य सुधार संबंधी कथन से बचना चाहिए।

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