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बीकानेर: राजस्थान के बाड़मेर जिले के सुदूर इलाकों में शिक्षक ऊंट पर सवार होकर छात्रों को पढ़ाने जा रहे हैं। दरअसल शिक्षा की अलख जगाने का यह प्रयास उन सुदूर इलाके के छात्रों के लिए है जो स्कूल तक पहुंच भी नहीं पाते हैं या फिर मोबाइल नेटवर्क नहीं आने की वजह से ऑनलाइन क्लास से वंचित रह जाते हैं। छात्रों को हो रही ऐसी ही परेशानियों को देखते हुए शिक्षकों ने अपने शिष्यों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है। बाड़मेर जिले में तपती रेगिस्तान के बीच शिक्षक ऊंट पर सवार होकर छात्रों तक पहुंच रहे हैं। यहां शिक्षक छात्रों के गांव में ही पाठशाला लगाकर उन्हें पढ़ा रहे हैं। शिक्षक उन इलाकों में जा रहे हैं जहां मोबाइल का नेटवर्क भी ठीक से नहीं आता।
रेगिस्तान में ऊंट पर बैठकर छात्रों को पढ़ाने जा रहे शिक्षकों का एक वीडियो भी सामने आया है। वीडियो में नजर आ रहा है कि कई शिक्षक ऊंट पर बैठ कर छात्रों के घर जा रहे हैं। शिक्षकों के पहुंचने के बाद छात्रों के परिजन हाथ जोड़कर उनका अभिनंदन कर रहे हैं। बताया जाता है कि जिन इलाकों में यह शिक्षक अपने छात्रों को पढ़ाने जाते हैं वहां तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं है इसलिए शिक्षक ऊंट की मदद से छात्रों तक पहुंच रहे हैं। भीमथल के आसपास ऐसे कई इलाके हैं जहां दुर्गम रास्ते की वजह से छात्र पढ़ाई से वंचित रह जा रहे थे।

पीईईओ क्षेत्र भीमथल में स्थित एक सरकारी स्कूल प्रधानाचार्य रूपसिंह जाखड़ ने जरुरतमंद बच्चों तक पहुंचने के लिए कुछ शिक्षकों की एक टीम बनाई है। रूपसिंह जाखड़ ने मीडिया से बातचीत में बताया है कि उन्होंने करीब 100 ऐसे छात्रों की पहचान की है जो पढ़ाई-लिखाई से वंचित रह जा रहे हैं। अब तक वो इनमें से 20 बच्चों तक अपनी टीम को लेकर पहुंच चुके हैं और उन्हें पढ़ा रहे हैं। प्रिंसिपल के मुताबिक वो और उनकी टीम हफ्ते में 2-3 दिन बच्चों तक जाकर उन्हें शिक्षित करने का काम करेंगे।

एक खास बात यह भी है कि यह शिक्षक बच्चों को मास्क व सैनेटाइजर के साथ ही उन्हें कॉपी, किताबें, पेंसिल व पेन समेत अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करा रहे हैं। राज्य के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने शिक्षकों की इस पहल की सराहना की। उन्होंने उनके शिक्षकों की तारीफ करते हुए कहा कि ‘तमाम चुनौतियों के बावजूद आपकी कर्तव्यपरायणता के जज़्बे को सलाम।’

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