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बीकानेर,बीकानेर में ऐसे तो महादेव के कई मंदिर बने हुए है जो श्रद्धालुओ के लिए आस्था के केंद्र है लेकिन हम आज आपको दिखाते है एक ऐसा मंदिर जो इतिहास के सुनहरे पन्नों में दर्ज हैं। नाथ सागर में स्थित कसौटी नाथ महादेव मंदिर,जो अपने अद्वितीय धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण श्रद्धालुओं और इतिहास प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

कसौटी नाथ महादेव मंदिर धार्मिक आस्था का केंद्र तो है ही लेकिन एक ऐतिहासिक घटना का भी साक्षी है। 16वीं शताब्दी में जब मुगल सम्राट हुमायूं, शेरशाह सूरी से पराजित हुआ, तब उसने इस मंदिर में गुप्त रूप से शरण ली थी। यह घटना इस मंदिर के महत्व को और अधिक बढ़ा देती है। मंदिर के बाहर लगे सरकारी सूचना बोर्ड पर भी इस तथ्य का उल्लेख किया गया है, जिससे इसकी ऐतिहासिक प्रामाणिकता सिद्ध होती है। इस मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई थी और 17वीं शताब्दी में बीकानेर के तत्कालीन शासक महाराजा गज सिंह ने इसका पुनरुद्धार करवाया था। मंदिर परिसर में एक अद्भुत शिवलिंग के साथ-साथ एक यंत्र भी स्थापित किया गया है। कसौटी नाथ महादेव मंदिर केवल शिव भक्ति का स्थान नहीं,बल्कि यह नाथ संप्रदाय के संतों की तपोस्थली भी रहा है। इस मंदिर के पुजारी मनोज सेवग बताते हैं कि नाथ संप्रदाय से जुड़े कई संतों ने यहां घोर तपस्या की है।

मंदिर में लंबे समय से पूजा-अर्चना करने आने वाले पंडित सत्यनारायण किराडू ने कहाकि यह शिव मंदिर केवल ऐतिहासिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। एक समय पर इस मंदिर के ठीक नीचे माता काली का मंदिर भी था,लेकिन वर्तमान में इसे बंद कर दिया गया है। यह मंदिर जमीन से करीब 30 फीट ऊंचा है, जिससे इसकी भव्यता और ऐतिहासिकता और भी स्पष्ट होती है।

यह मंदिर न केवल बीकानेर की धार्मिक विरासत को संजोए हुए है,बल्कि यह भारत के इतिहास में मुगलों और शेरशाह सूरी के संघर्ष की एक जीवंत स्मृति भी है। इसकी स्थापत्य कला,नाथ संप्रदाय का आध्यात्मिक प्रभाव और ऐतिहासिक घटनाएं इसे बीकानेर के सबसे विशिष्ट मंदिरों में शामिल करती हैं।

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