बीकानेर,स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में मशरूम उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन तकनीकी पर सात दिवसीय प्रशिक्षण का गुरुवार को समापन हुआ। मानव संसाधन विकास निदेशालय सभागार में हुए समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रशिक्षु आईपीएस विशाल और विशिष्ट अतिथि कुलसचिव डॉ देवा राम सैनी व वित्त नियंत्रक राजेन्द्र कुमार खत्री थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ अरुण कुमार ने की। कृषि महाविद्यालय, बीकानेर के पादप रोग विज्ञान विभाग की मशरूम उत्पादन इकाई द्वारा आयोजित प्रशिक्षण के समापन कार्यक्रम में अतिथियों ने बीकानेर, चूरू, श्रीगंगानगर, जोधपुर, झुंझुनूं समेत विभिन्न जिलों के 60 से ज्यादा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।
समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रशिक्षु आईपीएस विशाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में हम अनुसंधान की बातें करते हैं लेकिन अनुसंधान को कैसे धरातल पर उतारा जाता है। वह स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम में देखने को मिला। साथ ही कहा कि प्रशासन में जो 360 डिग्री इवोलुशन की बात की जाती है वह इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उतारा गया। उन्होने कहा कि प्रशिक्षण को अगली बार और बेहतर बनाने के लिए प्रतिभागियों से सुझाव भी लें।
कुलपति डॉ अरुण कुमार ने कहा कि इस प्रशिक्षण के जरिए निश्चित रूप से मशरूम के इंटरप्रेन्योर तैयार होंगे। साथ ही कहा कि कृषि विश्वविद्यालय में विभिन्न प्रशिक्षण लेने के बाद जो भी इंटरप्रेन्योर बने हैं उनके उत्पादों को आगामी कृषि मेले में निशुल्क स्टॉल आवंटित कर प्रदर्शित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों के सुझाव को मानते हुए कृषि विश्वविद्यालय में जल्द ही बटन मशरूम उत्पादन को लेकर 35 दिन की ट्रेनिंग कराई जाएगी। कृषि विश्वविद्यालय अपने दायित्वों के निर्वहन में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा।
कुलसचिव डॉ देवा राम सैनी ने कहा कि प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण में जो भी सीखा, उसके बारे में अन्य लोगों को भी बताएं। सोशल मीडिया का जमाना है सोशल मीडिया के जरिए भी बता सकते हैं। उन्होने कहा कि मशरूम उत्पादन से मशहूर होने की बात हो जाए तो हम सबके लिए बड़ी खुशी की बात होगी और जो इस प्रशिक्षण से महरूम रह गए,उन तक भी प्रशिक्षण की बात पहुंचे तो बड़ी खुशी होगी।
वित्त नियंत्रक राजेन्द्र कुमार खत्री ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी हुई जब प्रतिभागियों ने कहा कि हमारी बहुत ही उपयोगी ट्रेनिंग हुई है। उन्होने कहा कि मशरूम उत्पादन के जरिए कम पूंजी में आजीविका अर्जन किया जा सकता है। विश्वविद्यालय का इस प्रशिक्षण पर जितना भी खर्च हुआ है उसका हमें शत प्रतिशत लाभ प्राप्त हुआ है।
इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों को साफा पहना कर और पुष्प गुच्छ भेंट कर और मां सरस्वती की प्रतिमा के आगे द्वीप प्रज्वलन से हुई।
प्रशिणार्थी ज्योति ने बताया कि इसी साल फरवरी में हिमाचल के सोलन में करीब 60-70 हजार रुपए खर्च कर मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग ली लेकिन ज्यादा समझ नहीं आया। एसकेआरएयू में मातृभाषा में जिस तरह से व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। वह अतुलनीय है। जितेश मिढ्ढा ने बटन मशरूम उत्पादन को लेकर 35 दिन की ट्रेनिंग रखने की बात कही।
स्वागत भाषण देते हुए पादप रोग विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ दाताराम कुम्हार ने बताया कि मशरूम पूरी तरह से शाकाहारी उत्पाद है। भूमिहीन किसानों के लिए मशरूम उत्पादन आजीविका कमाने का बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है। साथ ही प्रतिभागियों को आश्वस्त करते हुए कहा कि मशरूम उत्पादन में उन्हें कोई भी दिक्कत आई तो उनकी टीम खुद चलकर उनके पास आएंगी और समस्या का समाधान करेगी।
कार्यक्रम के आखिर में सह आचार्य डॉ अशोक कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रशिक्षण में सह आचार्य डॉ अशोक, सहायक आचार्य डॉ अर्जुन यादव, एसआरएफ श्री मुकेश सेशमा समेत पादप रोग विज्ञान विभाग के छात्र-छात्राओं का विशेष सहयोग रहा। मंच संचालन डॉ केशव मेहरा ने किया। कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय के डीन, डायरेक्टर, विद्यार्थी समेत बड़ी संख्या में प्रतिभागी शामिल हुए।