बीकानेर,आचार्य मे चाहिए गीतार्थता, पुण्यशालीनता, संवेदनता। जैसे कलिकाल हेमचन्द्र सुरीश्वर जी ने गीतार्थता के बल पर सिद्धराज जयसिंह और कुमार पाल जैसे जैन धर्म के विरोधी राजाओं को भी गुरूदेव ने 50 साल तक सिद्धराज जयसिंह के साथ और 30 साल कुमार पाल के साथ रह कर दोनो को जैनधर्म का अुनयायि और रागि बनाया। और कुमार पाल को तो जैन श्रावक ही बना दिया। गुरूदेव की प्रेरणा से हमारी प्रर्वतना का एक जबर्दस्त कोटी का काम करवाकर के जिन शासन की गरिमा को चार चाॅन्द लगा दिये। ऐसे ही वादीदेव सुरीश्वर महराजा ने वाद मे दिगम्बर मत को छः मास तक चले वाद में परास्त करते हुए श्वेताम्बर को चार चाँद लगा दिये। ऐसे अनेकाअनेक आचार्य हुए। गुरुदेव सुरीश्वर वल्लभ महाराज ने अपनी तप साधना, संयमी जीवन में अनेको चमत्कार घटित किये उसका विविध प्रकार से महाराज श्री ने अपने प्रचवनों में दुष्टांतों के माध्यम से समझाया। समाज को एक सन्देश दिया कि हम पुण्यशाली है , भाग्यशाली है कि हमे ऐसे युगदृष्टा, युगवीर विजयवल्लभ सूरीश्वरजी जैसे महाराज मिले। ऐसे गुरु जिनके अन्दर शिक्षा एवं साधर्मिक के प्रति अनन्य करूणा और दया की दृष्टि थी और गुरुदेव सर्वत्रों ज्ञानी थे, विद्वान थे और इसलिए दुरर्दर्शी होने के कारण युगदृष्टा का पद मिला। ऐसे गुरुदेव का सान्निध्य बीकानेर वालों को मिला और गुरूदेव के उपकार बीकानेर वालों पर बरसे तो बीकानेर वालों के लिए अहोभाग्य की बात है। यह उद्गार रांगड़ी चैक स्थित यह पौषधशाला मे चल रहे प्रवचन के दौरान जैन मुनि श्रुतानंद म सा ने आध्यात्मिक पर्व नवपद ओलीजी के तीसरे दिन गुरु की महिमा का बखान करते हुए कहे। आत्मानन्द जैन सभा चातुर्मास समिति के सुरेन्द्र बद्धानि ने बताया कि श्रुतानंद म सा के प्रवचन से पूर्व जैन मुनि पुष्पेन्द्र म सा ने परमात्मा और गुरु वंदन करते हुए मंगलाचरण किया। नवपद ओलीजी के तीसरे दिन पीले रंग की छटा रखी गई जिसके तहत श्राविकाओं ने पीले वस्त्र धारण किये तथा अन्य उपयोगी वस्तुओं मे भी पीले रंग की ही प्रधानता रखी। आचार्य पद के रूप मे आज ‘‘ध्याता आचारज भला, महामंत्र शुभ ध्यानी रे। पंच प्रस्थाने आतमा, आचार होय प्राणी रे।।’’ दोहा दिया गया। वर्ण – पीला, गुण -36, खमासमणा – 36 स्वास्तिक -36, धान के रूप मे चणा व ओम हीँ नमो आयरियाणं मंत्र की 20 मालाओं का जाप दिया गया। दोपहर तीन बजे सामयिकी की गई।
मंदिर श्री पदम प्रभु के अजय बैद के अनुसार आज की संघ पूजा का लाभ चातुर्मास समिति के सुरेंद्र बद्धानी, शांतिलाल कोचर हनुजी, शांति लाल भंसाली, विनोद देवी कोचर, शांति लाल सेठिया तथा ओसवाल साॅप परिवार, जयपुर द्वारा लिया गया।