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बीकानेर,बीकानेर के नागरिकों को कोटगेट व सांखला रेलवे फाटक के समाधान की मूलभूत सुविधाओं का समावेश कर प्लान का अनुमोदन कर दिया गया है। अधिशासी अभियंता नगर विकास न्यास को प्लान भेज भी दिया गया है। निर्माण कार्य पीडब्ल्यूडी करेगी। एलिवेटेड ट्रेक का कोई प्रस्ताव रेलवे के पास विचाराधीन नहीं है। यह बात वरिष्ठ मंडल इंजीनियर उत्तर पश्चिम रेलवे ने 13 अगस्त 2024 को डा. धर्म चन्द जैन को उनकी ओर से इस समस्या के समाधान को लेकर केद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को भेजे पत्र के जवाब में कही है। यह बात सही है बीकानेर जिला प्रशासन और रेलवे के स्तर पर हुए विचार विमर्श के बाद अण्डर ब्रिज बनाने की योजना पूर्व में ही स्वीकृत हो चुकी है। अब अण्डर ब्रिज बनाने का काम शुरू होना है। अब जब काम शुरू होना है तो एलिनेटेड ट्रेक की बात उठाई जाने लगी है। इससे पहले वसुंधराजे के मुख्यमंत्री काल में यहां एलिवेटेड रोड बनाने की तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृति जारी हुई थी। वे भी सिरे नहीं चढ़ी। पूर्व विधायक आर.के. दास गुप्ता 1990 से रेलवे बाइपास का मुद्दा उठा रहे हैं। डा. बी.डी. कल्ला ने तो बाइपास के लिए राज्य सरकार के हिस्से की राशि रेलवे को हस्तान्तरित करवा दी थी। आर. के. दास गुप्ता, डा. कल्ला को अर्जुन राम मेघवाल ने इसी मुद्दे पर अलग अलग रेल मंत्री से मिलाया था। रेल मंत्री की अर्जुन राम मेघवाल की उपस्थिति में कल्ला तथा गुप्ता की बातचीत भी हुई। वास्तव में इन नेताओं की बाइपास बनाने के मुद्दे पर जितनी ऊर्जा खर्च की उसका मूल्य, रेलवे फाटकों के कारण मानव कार्य की क्षति, आर्थिक हानि, रेलवे का फाटकों के संचालन पर खर्च और अन्य अप्रत्यक्ष नुकसान को जोड़े तो उसका बजट समस्या के निदान में लगने वाले खर्च को छू सकता है। खैर केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम, राजस्थान के पूर्व मंत्री बी.डी. कल्ला और पूर्व विधायक गुप्ता बाइपास के प्रस्ताव को सिरे नहीं चढ़ा पाए। अब नए विधायक जेठानंद व्यास अन्डर ब्रिज बनाने के स्वीकृत प्रस्ताव को लागू करवाने में लगे हैं। रेलवे फाटकों की इस समस्या पर बीकानेर शहर विमूढ़ता में आ गया है। जनता भ्रमित और पीडित है। जितने नेता उतने समाधान के प्रावधान है। सबकी अलग डफली और अलग राग है। 1881 में ट्रेक बना। आजादी के बाद से समस्या है। 1990 में समाधान के बतौर बाइपास का प्रस्ताव मान लिया गया, परन्तु हुआ कुछ नहीं। अब जनता जाए किधर तय करना मुश्किल हो गया है। अगर बाइपास बनाना है तो डा. बी.डी. कल्ला का सान्निध्य लेना पड़ेगा। कल्ला पिछले तीन दशकों से अभी भी बाइपास बनाने में लगे हुए हैं। पूर्व विधायक आर.के. दास गुप्ता भी इसी दिशा में लगे हुए हैं। खैर बाइपास का मुद्दा ठंडे बस्ते में चल रहा है। नए विधायक जेठानन्द व्यास जब से विधायक बने हैं दिन रात यहां अडरब्रिज बनाने में लगे हैं। यहां अण्डर ब्रिज बनाने की तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृति हो गई है। इससे पहले वसुंधरा राजे के कार्यकाल में यहां एलिवेटेड रोड बनाने की भी तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृति हो गई थी। हमारे केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम जी ने एक बार कोटगेट पर रोप वे बनाने की बात कही थी। अब नया मुद्दा एलिवेटेड ट्रेक बनाने का जोरों पर चल रहा है। जनता को क्या चाहिए ? 1 एलिवेटेड रोड 2 अण्डर ब्रिज, 3 ओवर ब्रिज, 4 बाइपास, 5 रोप वे 6 एलिवेटेड ट्रेक बताओ आपको क्या चाहिए? तय आपको करना है। हालांकि यह काम सरकार के तकनीकी अधिकारियों को करना होता है। तय नेता लोग कर रहे हैं। मामला तकनीकी निर्णय का नहीं है राजनीति हानि लाभ का है। वर्षों से वोटो की राजनीति ही नहीं चल रही है और भी खेल चल रहे हैं दुर्भाग्य है कि इन नेताओं की मनचाही हो नहीं रही है। प्लान अण्डर ब्रिज का स्वीकृत है। बीकानेर में 30 वर्ष बाद आवाज एलिवेटेड ट्रेक की उठ रही है। क्या बनाएं बताओ? बीकानेर से केन्द्रीय मंत्री, राजस्थान सरकार में बीकानेर से रहे मंत्री, विधायक, पूर्व विधायक तो चार दशकों में कुछ नहीं पाएं। अब क्या करें,किसे कहें, किसका भरोसा करें बताओ तो सही ?

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