बीकानेर,सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल मुनि का प्रसिध्द तीर्थ स्थल श्रीकोलायत (बीकानेर) देश के प्रमुख तीर्थ स्थल में शुमार है। कपिल तीर्थ स्थल देश के 68 तीर्थों और 4 धामों का गुरू माना जाता है। सात सरोवर में कपिल सरोवर को बिन्दु सरोवर की उपमा दी गई है। यह तीर्थ स्थल पश्चिमी राजस्थान में पाक सीमा के पास स्थित है। विष्णु के पांचवें अवतार माने जाने वाला कपिल मुनि का विश्व प्रसिध्द मंदिर और कपिल सरोवर के कारण देश भर में ख्याति है। यह तीर्थस्थल रेगिस्तानी इलाके में होने तथा पूर्व में यातायात के पर्याप्त साधन नहीं होने से देश के अन्य भागों के श्रध्दालुओं की पहुंच से बाहर रहा है। अब क्योंकि बीकानेर तक हवाई सेवाएं, रेल यातायात, भारत माला और राष्ट्रीय सड़क मार्गों का विकास होने से यहां तक पहुंच आसान हो गई है। ऐसे में इस तीर्थ स्थल की तरफ देश का ध्यान आकर्षित करवाना समय की मांग है। इससे न केवल तीर्थ स्थल के प्रति देशभर के श्रध्दालुओं का रुझान बढ़ेगा, बल्कि संस्कृति, इतिहास, पुरातत्व, प्रकृति और पुरूष के बारे में सांख्य दर्शन की व्याख्या सहजगम्य हो सकेगी। मंदिरों, सरोवर और मरूस्थलीय प्रकृति के दर्शनों का भी देशभर के श्रध्दालुओं को लाभ मिल सकेगा। कपिल तीर्थ श्रीकोलायत का इतिहास सांख्य दर्शन के व्युत्पित से जुड़ा है। कर्दम मुनि, देवहुति और कपिल मुनि का श्रीकोलायत से गहरा आध्यात्मिक जुड़ाव है। महाभारत, भागवत पुराण समेत अन्य पुराणों में उल्लेख में कपिला की संज्ञा को उत्तम तीर्थों में गणना की गई है। सांख्य दर्शन अध्यात्म का ज्ञान मार्ग है। कपिल मुनि का श्रीमद भागवत गीता में वर्णन है कि श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन वृक्षों में पीपल, देवों में नारद और सिध्दों में कपिल मैं ही हूं। यह उत्तम कपिल तीर्थ की महत्ता को इंगित करता है। इस पौरिणिक तीर्थ स्थल में कपिल मुनि के मंदिर के अलावा सैकड़ों मंदिर और कपिल सरोवर के 52 घाट है। मंदिर के गर्भगृह में महिषासुर और गणेश भगवान की दुर्लभ मुर्तियां है। तत्कालीन भित्ति चित्र कला और दो ईंटों से बने मंदिर बिरले मदिरों में गिने जाते हैं। कपिल सरोवर को सभी सरोवरों का बिन्दु सरोवर माना जाता है। प्राचीन मंदिरों में पुरातत्व दृष्टि से कई महत्वपूर्ण चीजें है। इस तीर्थस्थल में सांख्य दर्शन और पुरातनता के कारण कई ज्ञान विज्ञान की धाराएं मिलती है। कपिल मुनि ने विष्णु के पांचवें अवतार के रूप में दर्शनशास्त्र की शिक्षा दी। सांख्य दर्शन का प्रादुर्भाव हुआ। इस दर्शन में अविद्य़ा जनित मोह की ग्रन्थी काटकर पुरूष और प्रकृति के बारे में समझाया। कपिल प्राचीन महान ऋषियों में विष्णु अवतार के रूप में सृष्टि की प्रकृति के रूप में 24 तत्वों का ज्ञान दिया। कपिल मुनि को सृष्टि विकास सम्बन्धी सिध्दान्त का आदि प्रवर्तक माना जाता है। कपिल मुनि की देश में तीन पौरिणिक तीर्थस्थल में मूर्तियां स्थापित है। इसमें श्रीकोलायत कपिल सरोवर, गुजरात ( पालम ,सिध्दपुर) गंगा सागर है। बताया जाता है कि गुजरात के बणिये ने श्रीकोलायत में कपिल मुनि की मूर्त्ति स्थापित की। यहां मां देवहुति को कपिल मुनि ने सांख्य दर्शन का ज्ञान दिया। हर वर्ष कार्त्तिक पूर्णिमा को कपिल तीर्थ स्थल पर देशभर से श्रध्दालु और साधु संत आते हैं। दत्तात्रेय की शाही सवारी के बाद कपिल सरोवर में शाही स्नान होता है। फिर साधु और श्रध्दालु डूबकी लगातै हैं। श्रीकोलयत तीर्थ स्थल के रूप में विकसित हो और पूरा देश इस स्थल से जुड़े इसमें हम सभी सहयोगी बने। ( इस तीर्थ स्थल की तरफ देश के श्रध्दालुओं, साधु संतों,सरकार और संस्थाओं का ध्यानाकर्षित किया।
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