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बीकानेर,स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में शनिवार को अनुसंधान सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया। अनुसंधान निदेशालय द्वारा आईएबीएम सभागार में आयोजित इस बैठक के मुख्य अतिथि चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉ ए.के.सिंह,विशिष्ट अतिथि भारत सरकार के हॉर्टिक्लचर कमीश्नर डॉ प्रभात कुमार, श्रीगंगानगर से आए प्रगतिशील किसान श्री प्रदीप सिंह और जैसलमेर से आए किसान श्री हाथी सिंह थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता एसकेआऱएयू कुलपति डॉ अरूण कुमार ने की।

चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉ ए.के.सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि नई तकनीक किसानों के साथ साझा करें। लेकिन साथ ही ये भी देखें कि किसानों को फायदा कितना हुआ, उसका फीडबैक भी लें। आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस का भी प्रयोग करे।साथ ही कहा कि इस विश्वविद्यालय को 6 जिलों की कृषि आधारित आवश्यकताओं और किसानों की आय बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है। उन्हें पूरी शिद्दत से निभाएं।

भारत सरकार के हॉर्टिक्लचर कमीश्नर डॉ प्रभात कुमार ने कहा कि कृषि वैज्ञानिक स्थानीय आवश्यकता और राष्ट्रीय प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए रिसर्च करें। इको सिस्टम आधारित अनुसंधान महत्वपूर्ण है। साथ ही कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक कीचन गार्डन विकसित करें और उसे लोगों को बताएं। संयुक्त निदेशक कृषि श्री कैलाश चौधरी ने कहा कि बीकानेर जिले में किसान मूंगफली से बीटी कॉटन की ओर शिफ्ट हो रहे थे। लेकिन गुलाबी सुंडी की मार के चलते फिर से मूंगफली की ओर शिफ्ट हो रहे हैं। जो चिंता का विषय है।

कुलपति डॉ अरूण कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय में माहौल काफी सकारात्मक किया गया है। बेस्ट स्टूडेंट, बेस्ट साइंटिस्ट इत्यादि को पुरस्कृत किया जाता है। शिक्षकों को प्रमोशन दिए गए हैं. साथ ही आर्टिफिश्यल इंटेलीजेंस को लेकर कहा कि किसी आईआईटी से एमओयू होता है तो फसलों में बिमारी का शुरू में ही मालूम चल जाएगा। जिसका फायदा किसानों को होगा। नई तकनीक को केवीके के जरिए किसानों तक पहंचाई जाएगी।

इससे पूर्व अनुसंधान निदेशक डॉ पीएस शेखावत ने स्वागत भाषण और अतिरिक्त निदेशक अनुसंधान डॉ योगेश शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में विभिन्न कृषि वैत्रानिकों ने स्टूडेंट्स द्वारा किए गए अनुसंधानों का प्रजेंटेशन दिया। कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ बीडीएस नाथावत ने किया। समिति की बैठक में विश्वविद्यालय के सभी डीन, डायरेक्टर समेत हनुमानगढ, श्रीगंगागनर, चूरू, जैसलमेर और झुंझुनूं से आए कृषि वैज्ञानिक भी शामिल हुए।

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