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बीकानेर,जयपुर,तस्वीर सितंबर में हुई भाजपा की चुनावी सभा की है। पीएम मोदी और वसुंधरा राजे के बीच में भजनलाल हैं। तब किसी को अंदाजा नहीं था कि 3 महीने बाद वसुंधरा साइडलाइन हो जाएंगी और भजनलाल केंद्र में आ जाएंगे।

राजस्थान में पहली बार के विधायक भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी हाईकमान ने फिर चौंका दिया है। एमपी-छत्तीसगढ़ फॉर्मूले की तर्ज पर राजस्थान में नए चेहरे को सीएम बनाया है।

भजनलाल शर्मा को सीएम बनाने का फैसला कितना चौंकाने वाला था, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब पूर्व सीएम वसुंधरा ने भजनलाल का नाम रखा तो कुछ समय के लिए बैठक में सन्नाटा छा गया। इसके बाद राजनाथ सिंह ने कहा- अगर कोई और भी नाम हो तो विधायक बता सकते हैं। एक भी विधायक एक शब्द नहीं बोला और इस तरह 15 मिनट में विधायकों ने सीएम चुन लिया।

वसुंधरा ने जब पर्ची खोली, दूसरों के साथ ही भजनलाल शर्मा को तभी पता चला कि हाईकमान ने सीएम पद के लिए उन्हें चुना।

दिल्ली में लिखी भजनलाल को सीएम बनाने की स्क्रिप्ट
भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाए जाने के फैसले की रूपरेखा दिल्ली में पहले ही तैयार हो गई थी। बताया जाता है कि पर्यवेक्षकों तक को बंद लिफाफा दिया गया था, जिसे विधायक दल की बैठक में ही खोला गया।

विधायक दल की बैठक से पहले होटल में पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह ने वसुंधरा और प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी से चर्चा की थी। विधायक दल की बैठक में वसुंधरा से ही भजनलाल के नाम का प्रस्ताव रखवाया।

राजनाथ सिंह ने बैठक शुरू होते ही एक पर्ची वसुंधरा को दी, जिसमें नए मुख्यमंत्री का नाम था। वसुंधरा से ही नए सीएम के नाम की घोषणा करवाई। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी वहीं पैटर्न अपनाया गया था।

राजनाथ को हाईकमान का मैसेज था- वसुंधरा ही प्रस्ताव करेंगी
राजनाथ सिंह को पर्यवेक्षक बनाकर भेजने के पीछे भी खास वजह थीं। हाईकमान ने राजनाथ सिंह को यह जिम्मेदारी दी थी कि वसुंधरा से ही नए सीएम का नाम घोषित करवाएं।

इस वजह से राजनाथ सिंह ने जयपुर पहुंचते ही वसुंधरा से चर्चा की। बताया जाता है कि वसुंधरा की कुछ बड़े नामों पर सहमति नहीं थीं।

हालांकि भजनलाल शर्मा के नाम पर वसुंधरा ने आपत्ति नहीं की। उपमुख्यमंत्री बनाए गए प्रेमचंद बैरवा का झुकाव भी वसुंधरा की तरफ माना जाता है। राजनाथ सिंह से चर्चा के बाद वसुंधरा प्रस्तावक बनने को तैयार हुईं।

सीएम के नाम की घोषणा से पहले हुआ फोटो सेशन, जिसमें भजनलाल आखिरी लाइन में कोने में थे।

15 मिनट की बैठक में हो गया सीएम का फैसला
बीजेपी विधायक दल की बैठक में करीब 15 मिनट में ही फैसला सुना दिया गया। विधायक दल की बैठक शुरू होते ही प्रदेश अध्यक्ष जोशी ने सबका स्वागत करने के बाद छोटा सा भाषण दिया।

इस भाषण में सीपी जोशी ने कहा- बीजेपी अनुशासित पार्टी है और संगठन की रीति-नीति से यहां फैसले होते हैं। अनुशासित पार्टी के कार्यकर्ता होने के नाते हम सभी केंद्रीय नेतृत्व के फैसलों को मानते आए हैं। यही हमारी परंपरा रही है। आज भी उसी परंपरा को निभाना है।

राजनाथ सिंह ने अनुशासन का हवाला दिया
सीपी जोशी ने राजनाथ सिंह को भाषण के लिए बुलाया। राजनाथ सिंह ने भी छोटे से भाषण में कहा- बीजेपी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने के साथ अनुशासित पार्टी है। यहां संगठन का हर फैसला नेता-कार्यकर्ता स्वीकर करता है और पार्टी के यहां तक पहुंचने में हमारी इसी रीति-नीति की बहुत बड़ी भूमिका है।

बैठक में विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद वसुंधरा राजे ने भजनलाल शर्मा का स्वागत किया।

वसुंधरा ने भजनलाल का नाम रखा और बैठक में छा गया सन्नाटा
राजनाथ सिंह ने अपना भाषण खत्म करने के बाद वसुंधरा को मुख्यमंत्री के नाम का प्रस्ताव रखने को कहा। वसुंधरा ने भजनलाल शर्मा का नाम मुख्यमंत्री के लिए प्रस्तावित किया। कुछ देर के लिए बैठक में सन्नाटा छाया रहा। उसके बाद आधा दर्जन विधायकों ने प्रस्ताव का समर्थन किया।

राजनाथ सिंह ने विधायकों से कहा कि इसके अलावा और कोई नाम हो तो विधायक अपनी राय दे सकते हैं। किसी ने दूसरा नाम नहीं पुकारा और इस तरह भजनलाल को सीएम बनाने का प्रस्ताव विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से तय हो गया।

चुनावों के बाद हाईकमान के किसी नेता से नहीं मिले, खुद भजनलाल को नहीं पता था
भजनलाल शर्मा सांगानेर से विधानसभा चुनाव जीतने के बाद जयपुर ही रहे, वे दिल्ली भी नहीं गए थे। हाईकमान से जुड़े किसी बड़े नेता से भी नहीं मिले थे। विधायक दल की बैठक से पहले खुद उन्हें भी नहीं पता था कि वे मुख्यमंत्री बनने वाले हैं। पूरी प्रक्रिया को गोपनीय रखा गया था। जब विधायक दल की बैठक में वसुंधरा ने भजनलाल के नाम का प्रस्ताव रखा और सबने एक मत से इसका समर्थन किया तभी उन्हें पता लगा।

मोदी-शाह के स्तर पर फाइनल हुआ भजनलाल का नाम
भजनलाल शर्मा को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का नजदीकी माना जाता है। उनकी तरक्की में इस नजदीकी का बड़ा हाथ रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मिलकर भजनलाल का नाम फाइनल किया। राजस्थान में आधा दर्जन नेताओं के नामों पर चर्चा की गई, लेकिन उन नामों के साथ सियासी तौर पर कुछ बाधाएं थीं।

राजभवन पहुंचकर भाजपा नेताओं ने सरकार बनाने का दावा पेश किया।

साधारण परिवार के भजनलाल की इस योग्यता के आगे सब दावेदार पीछे रह गए
राजस्थान में सीएम पद की रेस में आधा दर्जन नेताओं के नाम थे। राजस्थान में सामान्य वर्ग से एक सामान्य पार्टी कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बनाकर मोदी-शाह बड़ा सियासी मैसेज देना चाहते थे। बाकी नेताओं से वह मैसेज नहीं जा रहा था। हाईकमान के स्तर पर पहले ही तय हो गया था कि इस बार नया चेहरा देना है।

समझिए: दूसरे दावेदार क्यों हुए बाहर

वसुंधरा: चुनाव पहले से सीएम न बनाने के संकेत थे
वसुंधरा के समर्थक विधायक उन्हें सीएम बनाने की मांग कर रहे थे, लेकिन बीजेपी हाईकमान पहले ही तय कर चुका था कि इस बार नया चेहरा सीएम होगा। विधानसभा चुनावों में चेहरा नहीं बनाकर ही संकेत दे दिए थे कि वसुंधरा की राह मुश्किल है और हुआ भी वही। वसुंधरा लगातार सीएम की दौड़ में पिछड़ती गईं। तीनों राज्यों में बीजेपी ने नई लीडरशिप को जिम्मेदारी दी है, इसलिए वसुंधरा को नहीं बनाया गया।

चुनाव के पहले ही ये संकेत हो गए थे कि भाजपा जीती तो वसुंधरा सीएम नहीं होंगी। यही वजह है कि भाजपा ने चुनाव से पहले सीएम फेस घोषित नहीं किया था।
चुनाव के पहले ही ये संकेत हो गए थे कि भाजपा जीती तो वसुंधरा सीएम नहीं होंगी। यही वजह है कि भाजपा ने चुनाव से पहले सीएम फेस घोषित नहीं किया था।
प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी: चर्चा हुई, लेकिन सर्वसम्मति नहीं बनी

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के नाम पर भी चर्चा हुई थी, लेकिन सर्व सम्मति नहीं बनी। बीजेपी हाईकमान गैर विधायक को भी सीएम नहीं बनाना चाहता था। वसुंधरा राजे दो बार प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए सीएम बनी थीं। हाईकमान इस परिपाटी को तोड़ना चाहता था। यहीं वजह है कि एमपी और छत्तीसगढ़ में प्रदेश अध्यक्ष को सीएम नहीं बनाया था। राजस्थान में भी ये ही हुआ।

सीपी जोशी सीएम की रेस में थे, लेकिन उनके नाम पर हाईकमान स्तर पर सर्वसम्मति नहीं बन पाई।
सीपी जोशी सीएम की रेस में थे, लेकिन उनके नाम पर हाईकमान स्तर पर सर्वसम्मति नहीं बन पाई।
गजेंद्र सिंह शेखावत: सियासी समीकरण आड़े आ गए
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी दावेदारों में थे। बीजेपी हाईकमान ने राजपूत की जगह ब्राह्मण चेहरे को तवज्जो दी। इसके पीछे वजह रही जातीय समीकरण साधना। गजेंद्र सिंह पहले से केंद्र में हैं। ऐसे में स्थानीय सियासी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया।

राजस्थान के स्थानीय सियासी और जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने गजेंद्र सिंह शेखावत पर दांव नहीं लगाया।

दीया कुमारी: सामान्य परिवार के व्यक्ति को सीएम बनाने का मैसेज देना था
दीया कुमारी के नाम की भी सीएम दावेदारों के तौर पर चर्चा थी। दीया कुमारी जयपुर के पूर्व राजघराने से जुड़ी हैं। पार्टी सामान्य घर के साधारण कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बनाकर मैसेज देना चाहती थी। दीया कुमारी को सीएम बनाने से वह मैसेज नहीं जा रहा था। ऐसे में उन्हें सीएम नहीं बनाया, लेकिन डिप्टी सीएम बनाकर साधा गया।

राजनाथ सिंह के जयपुर पहुंचने के बाद दीया कुमारी प्रदेश भाजपा कार्यालय आई थीं।

अर्जुनराम मेघवाल, अश्विनी वैष्णव: सामान्य वर्ग के फॉर्मूले से भी कई बाहर
केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और अश्विवनी वैष्णव के नाम भी चर्चा में थे। राजस्थान में पार्टी ने सामान्य वर्ग से सीएम बनाने का फैसला किया। अर्जुनराम मेघवाल एससी और अश्विनी वैष्णव ओबीसी वर्ग से आते हैं, इसलिए दोनों सीएम रेस से बाहर हो गए।

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राजस्थान के भरतपुर के अटारी गांव में जन्मे भजनलाल शर्मा की पहचान मंगलवार शाम 4 बजे से पहले, पहली बार जीते भाजपा विधायक की थी। विधायक दल की बैठक में जैसे ही उन्हें CM बनाए जाने की घोषणा हुई तो सब चौंक गए। 27 साल की उम्र में अटारी गांव में सरपंच का चुनाव जीतकर भजनलाल राजनीति में आए थे। सांगानेर (जयपुर) से पहले भी 2003 में नदबई (भरतपुर) विधानसभा सीट से उन्होंने सामाजिक न्याय मंच पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के सामने उनकी जमानत जब्त हो गई थी

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