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बीकानेर/सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट, बीकानेर के तत्वावधान में समकालीन राजस्थानी युवा कविता के स्वर कार्यक्रम की चौथी कड़ी का आयोजन रविवार को इंस्टीट्यूट के सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार-सम्पादक हरीश बी शर्मा थे ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा की आज की राजस्थानी कविता अन्य भारतीय भाषाओं के समकक्ष खड़ी होकर समाज को भरोसा और विश्वास दिलाती है। जोशी ने कहा कि राजस्थानी कविता प्राचीन संदर्भों के साथ आधुनिकता की प्रतिस्पर्धा में बेहतरीन आधुनिक राजस्थानी कविता बन पड़ती है।
। उन्होंने कहा कि राजस्थानी के युवा कवियों की रचनाएं बिम्ब, प्रतीक के साथ मानवता के बोध की बात करती है ।जोशी ने कहा कि राजस्थानी की युवा कविताओं में कई शेड्स हैं ।
जोशी ने कहा कि तीनो युवा कवियों की राजस्थानी कविता में अपने समय और समाज से मुठभेड़ करती हुई जीवन, मृत्यु, अध्यात्म और लोक आदि विषयों से संबंधित कविताएं विचार एवं संवेदना से ओतप्रोत है। जोशी ने कहा की अन्य भाषाओं की तुलना में यहां कवियों की दृष्टि और सृष्टि में परिपक्वता और व्यापकता के दर्शन होते हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए हरीश बी शर्मा ने कहा कि आज की युवा राजस्थानी कविता समय की मांग और नए बिम्ब प्रस्तुत करती नजर आती है, उन्होंने कहा कि इक्कीसवीं सदी की राजस्थानी कविता उच्च मुकाम पर है। उन्होंने कहा कि कि आज की युवा कविता पेड़िया चढ़ती हुई नूंवी अबोट है, उतनी ही जुनी परंतु जीवन मूल्य की रखवाली भी करती है। शर्मा ने आज की कविता को मनुष्यता के समर्थन में खड़ी दिखाई देने वाली कविता बताया।
रविवार को आयोजित कार्यक्रम में राजस्थानी के तीन युवा कवियों ने अपनी शानदार प्रस्तुति से कार्यक्रम को उमंग और जोश से भर दिया
आज के युवा कवियों में सुधा सारस्वत, रोशन बाफना एवं पुनीत रंगा ने अपनी शानदार प्रस्तुति दी।
“एक सलटे तो दुजी बोले उतर भीखा म्हारी बारी” एवं “बो पाणी मुलतान नीसरगग्यौ तिरसे म्हारा पाना कोरा” की ओजपूर्ण प्रस्तुति के साथ सुधा सारस्वत ने बोली रा घाव,पीड़ किताब री पगबंधणी,पटराणी,रेत रा सैनाण, औळभा री अकुरड़ी,पतियारो,आसा रा सुपणा एवं महल अर गीतरण्या शीर्षक से भावपूर्ण राजस्थानी रचनाएं सुनाते हुए उपस्थित श्रोताओं की जमकर दाद लूटी ।
इस श्रंखला में रोशन बाफना ने लोक और व्यंगात्मक कविताओं के माध्यम से सभी को सोने को मजबूर कर दिया उन्होंने
इत्ती सी तो बात है, सुण ले मायड़ भाषा री, सृष्टि, मेट दे, इणकार, मूंडो, पूरणता, बोलोबालो और
अबके चेपा में लुटग्यो, बीकाणो खाडा वाळो रे और जै ओ ई है
मरदानगी रो पैमानो तो
हां, है मरद हुवण सूं भी इणकार जैसी शानदार प्रस्तुति दी।
युवा कवि पुनीत रंगा ने आध्यात्मिक एवं समाज में उत्पन्न कुरीतियों के विरुद्ध सामाजिक सरोकार की रचनाएं प्रस्तुत करते हुए पत्ता, खोज मिनखपणै री,कुहप री काया मोबाइल, रेत ई दीवी समझ, टाबर एवं छोड़ मिनखपणौ शीर्षक से भावपूर्ण रचनाऍं सुनाकर उपस्थित श्रोताओं को भाव विभोर करते हुए कहा कि अबै मिनख घूमै है मोबाइल सागै, एक खतरनाक हथियार सागै ।
कविताओं पर त्वरित टिप्पणी करते हुए डाॅ. सुधा आचार्य ने कहा कि राजस्थानी साहित्य का भविष्य उज्जवल है, आज के कवियों की सृजन धर्मिता के अनेक आयाम हमारे सामने प्रकट हुए है। उन्होंने कहा कि भाव, भाषा, संवेदनाओं की त्रिवेणी बही।
प्रारंभ में कार्यक्रम प्रभारी साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने स्वागत उद्बोधन करते हुए कहा कि आगमी समय में संस्थान द्वारा अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे, स्वर्णकार ने युवाओं को राजस्थानी भाषा-संस्कृति से जोड़ना एवं निरंतर बनाए रखने को आवश्यक बताया।
अतिथियों ने तीनों युवा कवियों को स्मृति चिह्न एवं नगद राशि देकर सम्मान किया तथा बागेश्वरी कला साहित्य संस्थान की ओर से स्मृति चिन्ह भेंट किए गए कार्यक्रम के अंत में शायर अब्दुल शकूर सिसोदिया ने सभी का आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम का प्रभावी संचालन वरिष्ठ कवि विपल्व व्यास ने किया।
कार्यक्रम में रवि पुरोहित, कमल रंगा,सुमित शर्मा,बी. एल.नवीन,जितेन्द्र भाटी, जुगल किशोर पुरोहित, महेश उपाध्याय, एडवोकेट गंगा बिशन बिश्नोई, महेंद्र जोशी, मंजू सारस्वत,सहित अनेक महानुभाव उपस्थित हुए।

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