
बीकानेर,राजस्थानी साफा-पाग, कला संस्थान एवं थार विरासत की ओर से नगर स्थापना दिवस के अवसर पर होने वाले आयोजनों की श्रृंखला में 537वें स्थापना दिवस पर आयोजित 7 दिवसीय उछब थरपणा के तहत आज समारोह के पांचवे दिन खेल संवाद का सफल आयोजन नत्थूसर गेट बाहर स्थिति लक्ष्मीनाराण रंगा सृजन सदन में हुआ।
खेल संवाद के मुख्य अतिथि उपनिदेशक सुचना एवं जनसंपर्क विभाग हरिशंकर आचार्य ने कहा कि खिलाडियों को जीवन में निराश नहीं होना चाहिए और सकारात्मक सोच के साथ अपने लक्ष्य की ओर बढना चाहिए। जहां तक कोच की बात है उसका अभाव नहीं खिलाडियों में और उनके गुरूजनों में खेल को खेल की भावना से लेना चाहिए। जहां तक सरकारी स्तर पर बजट की बात है उसमें निरन्तर वृद्धि हो रही है। जो पर्याप्त है फिर भी ऐसे खेल संवाद सार्थक पहल है जिसके माध्यम से खिलाडियों में और उनके गुरूजनों के बीच संवादहीनता खत्म होती है।
खेल संवाद की अध्यक्षता करते हुए संस्था के अध्यक्ष राजेश रंगा ने कहा कि बीकानेर हमेशा खेल जगत में अपनी राष्ट्रीय ही नहीं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान रखता है। जिसकी एक समृद्ध परंपरा है। गत दशकों में बीकानेर ने हर खेल में अपना परचम लहराया है। फिर भी परिपूर्ण संसाधनों से युक्त खेल मैदानों की कमी को पूर्ति करनी होगी। साथ ही खास तौर से विद्यालयों और महाविद्यालय स्तर की खेल प्रतिभाओं को चिन्ह्ति कर आगे ले जाना चाहिए।
फुटबॉल के कॉच श्याम सुंदर चुरा ने कहा कि खिलाडियों को वितीय समस्या का सामना करना पडता है। ऐसी स्थिति में सरकारी स्तर पर वितीय सुविधाओं का बढावा होना चाहिए। खो-खो और कबड्डी के खिलाडी और प्रशिक्षक बद्री प्रसाद शर्मा ने खो-खो क्षेत्र में जो खिलाडी आगे बढ रहे है उनका जीक्र करते हुए खो-खो और कबड्डी में खिलाडियों को आगे आना चाहिए। बीकानेर की खेल प्रतिभाएं खो-खो खेल में खास पहचान बना रहे है। फुटबॉल कॉच भरत पुरोहित ने कहा कि खेलों में राजनीति नहीं होनी चाहिए और खिलाडियों को मेहनत करनी होगी। लक्ष्य और सफलता अवश्य मिलेगी। खेल संवाद में अपनी सहभागिता करते हुए बॉक्सिंग के कॉच भुपेन्द्र सिंह ने कहा कि खिलाडियों को अपने वरिष्ठजनों से मार्गदर्शन लेते हुए आगे बढना चाहिए। इसी तरह भगवती राठौड़ ने अपने विचार रखते हुए कहा कि महिला कॉच की कमी है यह एक समस्या है अतः बालिकाएं और महिला खिलाडियों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
गूंजन पुरोहित ने कहा कि खेलों के प्रति अभिभावकों की जागृति का अभाव है हमें इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।
संस्था के सचिव कला विशेषज्ञ कृष्णचंद्र पुरोहित ने विषयपर्वतन करते हुए कहा कि खेल जैसे विषय पर संवार होना एक सार्थक पहल है। हमे विशेष तौर से युवा प्रतिभाओं को आगे लाना होगा।
सभी का आभार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ कला विशेषज्ञ डॉ. राकेश किराडू ने कहा कि खिलाडियों को मिल्खासिंह की तरह अपने अंदर जोश जुनून और जजबा रखकर आगे बढना है खेल क्षेत्र में कठिनाईयां आती रहेगी लेकिन आपको अपने अंदर एक सकारात्मक सोच रखकर आगे बढना है।
खेल संवाद का संचालन करते हुए आशीष रंगा ने कहा कि यह एक सार्थक पहल है और इस संवाद के माध्यम से खेलों से जुडी समस्या पर विचार मंथन हुआ है।