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बीकानेर,राज्य सरकार के पर्यावरण संरक्षण को लेकर पौधे रोपण करने की मुहिम प्रेरणा का स्त्रोत बन रही है। बीकानेर के युवा यश कोचर ने इस अभियान से प्रेरित होकर अपनी पुत्री कायशा कोचर के जन्म उपलक्ष पर रविवार को रविन्द्र रंगमंच के सामने सिविल लाइन्स स्थित बंगला नंबर ३७ के सामने करीब ६० गुणा ९० फिट के एरिया में चार सौ पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। यश कोचर ने बताया कि उन्होंने जापानी सांइटिस्ट अकिरा मियामाकी पद्धति से स्वयं अपनी पुत्री कायशा के हाथों पौधा लगाकर अभियान चलाया। इस कार्य में यश के परिजनों सहित मित्रों और रिश्तेदारों ने भी पौधारोपण किया। सामाजिक कार्यकर्ता सुरेन्द्र कोचर ने बताया कि इस पद्धति से पौधारोपण करने से यह जल्दी ग्रोथ करते हैं और विपरित मौसम में भी फलते-फूलते हैं। इस संपूर्ण प्लांटेशन की देखभाल करने वाली फर्म कोपाल फार्म के मैनिजिंग डायरेक्टर मुकेश अग्रवाल ने बताया कि इस पद्धति का उपयोग बीकनेर में ही वह चार स्थानों पर कर चुके हैं। इसमें लगभग ९५ प्रतिशत पौधे आवश्यक रूप से पनपते ही हैं। किन्ही कारणों से पांच प्रतिशत पौधे ग्रोथ नहीं कर पाते। यश कोचर ने बताया कि उन्हें पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्य करना था। लेकिन यह नहीं समझ पा रहे थे कि करें क्या…?, एक दिन मित्र मुकेश अग्रवाल से मुलाकात की और फिर दो माह पहले बीडीए से आज्ञा पत्र लिया। इसके बाद उक्त भूमि पर ट्रेक्टर से हैरो चलाया और जिप्सम सहित अन्य खाद डालकर भूमि को तैयार किया गया। जुलाई माह में एक अच्छी बरसात का इंतजार था और रविवार को प्रतीक चौरडिय़ा, हेमन्त अग्रवाल, प्रियांशु अग्रवाल, प्रेम माली, गोपाल अग्रवाल, सोफिन खान, यामिनी सिंह सहित सपरिवार और परिजनों एवं मित्रों के सहयोग से एक साथ पौधारोपण कर नई शुरुआत की गई। यश कोचर ने बताया कि इस पद्धति में पौधा मात्र चार- पांच साल में ही पेड़ का रूप ले लेते हैं और फल व छाया देने लगते हैं।
क्या है मियावाकी पद्धति
जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी द्वारा अग्रणी इस तकनीक में घने, बहु-स्तरीय तरीके से देशी पौधों की विविध प्रजातियों को लगाना शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप तेजी से विकास और पारिस्थितिकी तंत्र का विकास होता है।

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