जयपुर/बीकानेर, किसी विचारधारा से जुड़कर,किसी को खुश करने,सम्मान अथवा समर्थन पाने के लिए लिखना ,लेखन के प्रति ईमानदारी नहीं है . उन्होंने कहा कि नामचीन व्यंग्यकार शरद जोशी ने पूरी निर्भीकता के साथ विसंगतियों पर प्रहार किए और तटस्थ होकर व्यंग्य लेखन किया .
यह बात हिंदी फिल्मों के लोकप्रिय लेखक कमलेश पांडे ने कही . पांडे ने सौदागर,बेटा,तेज़ाब,खलनायक ,रंग दे बसंती जैसी अनेक सुपरहिट फिल्मों की कहानियाँ लिखीं हैं . वह मंगलवार को क्रेड़ेंट टीवी के डियर साहित्यकार कार्यक्रम में वेब माध्यम से जुड़कर विचार प्रकट कर रहे थे . विख्यात व्यंग्यकार शरद जोशी की पुण्यतिथि पर आयोजित शरदांजलि कार्यक्रम में उनके रचना संसार पर जयपुर के वरिष्ठ व्यंग्यकार प्रभात गोस्वामी से बातचीत में उन्होंने जोशी के व्यंग्य,भाषा शैली, फिल्मों और टेलीविजन पर उनके योगदान पर विस्तार से चर्चा की . पांडे ने कहा कि अमेरिका में जो स्थान सुप्रसिद्ध लेखक मार्क ट्वेन का रहा ,वह शरद जोशी का भारत में था . लेकिन दुर्भाग्य से हम उन्हें वह सम्मान नहीं दे पाए, जिसके वह हकदार थे .
उन्होंने कहा कि शरद जोशी के व्यंग्य में हास्य नहीं था पर गुदगुदी थी जिसका असर लम्बे समय तक रहता था . फ़िल्मी गानों की तरह उनके जुमले भी अकस्मात मुंह से निकलते थे . उनका अंदाजे बयां इतना प्रभावी था कि उन्होंने कवि सम्मेलनों और मुशायरों में गद्य व्यंग्य पढ़कर भी कई बार महफ़िलें लूटीं . उन्होंने शरद जोशी की भाषा पर चर्चा करते हुए कहा कि यदि आज की पीढ़ी में हिंदी के प्रति अनुराग या स्वाद जगाना है तो उन्हें हरिशंकर परसाई और शरद जोशी को अवश्य पढना चाहिए . उन्होंने कहा कि जोशी आज से पचास साल पूर्व प्रासंगिक थे और आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं . वह अगले पचास सालों तक पढ़े जाएंगे . पांडे ने कहा कि आज के हालातों में जो घटनाएं घटित हो रहीं हैं ,यदि शरद जोशी होते तो गज़ब का लिखते . उनके लेखन में जो निर्भीकता दिखाई पड़ती है , वह आज कहीं दिखाई नहीं पड़ती .
कमलेश पांडे ने शरद जोशी के टीवी सीरियलों, फिल्मों में संवाद लेखन के साथ साहित्यिक कृतियों पर फिल्मों पर भी विस्तार से चर्चा की . कार्यक्रम की शुरुआत में क्रेड़ेंट टीवी के एमडी सुनील नारनोलिया ने उनका स्वागत किया . एक घंटे की इस लाइव चर्चा के बाद प्रभात गोस्वामी की आवाज़ में उनके व्यंग्य- तीन आदर्श भूलें की प्रस्तुति दी गई .