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बीकानेर,मेड़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज के अराध्य देव महाराजा  अजमीढ़देव का जन्मोत्सव शरद पूर्णिमा से तीन दिन विभिन्न आयोजनों के साथ सम्पन्न हुआ। महाराजा अजमीढ़ का जन्म त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के समकालीन चंद्रवंश की की 28 वीं पीढ़ी में हुआ। हस्तीनापुर नरेश हस्ती के दो पुत्र विकुंठन और दशाह थे महारानी सुवेदा के गर्भ से महाराजा अजमीढ़ जी का जन्म हुआ।अजमीढ़ स्वर्ण कला में पारंगत थे इनके द्वारा सीखने वाले कालान्तर में स्वर्णकार कहलाये।स्वर्णकार समाज के आदि पुरुष महाराजा अजमीढ़ के तेल चित्र पर माल्यार्पण कर पूजा अर्चना कर प्रसादी का वितरण हुआ। तथा संगोष्ठी आयोजित की गई जिसमें स्वर्ण कला के वर्तमान परिस्थितियों पर विचार प्रकट किए गए। सोने चांदी के आसमान छूते भावों को लेकर व्यवसाय पर पड़ने वाले प्रभावों पर चिंता व्यक्त की गई। मुख्य वक्ता सामाजिक कार्यकर्ता भूरमल सोनी थे।महाराजा की स्मृति में खेल-कूद व रोमांचकारी माल्हा प्रदर्शन (भारोत्तोलन) का कार्यक्रम रखा गया जिसमें पहलवान महावीर कुमार सहदेव की टीम ने एक हाथ से माल्हा उठाकर प्रदर्शन किया। टीम के होनहार खिलाड़ी जमाल घोसी ने अपने बॉडी वेट 60 किलो में 75 किलो का माल्हा एक हाथ से उठाकर श्रेष्ठ प्रदर्शन किया ।पहलवान महावीर कुमार सहदेव, लक्ष्मण सोनी, मूलचंद बामलवा, कैलाश सहदेव गौरव सोनी ने पूजा अर्चना माल्यार्पण कर याद किया।इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र कुमार देवड़ा, नारायण सिंह भुट्टा उपस्थित रहे।मुख्यवक्ता सामाजिक कार्यकर्ता भूरमल सोनी ने स्वर्णकार समाज के आदि पुरुष का स्मरणकर उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला।

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