बीकानेर, रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में गुरुवार को साध्वीश्री मृगावती,सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में पर्वाधिराज पर्युषण के शनिवार जैन धर्म का प्रमुख धर्मग्रंथ ’’कल्पसूत्र’’ का वांचन विवेचन के माध्यम से स्वप्नों का वर्णन किया तथा जैन धर्म के स्तोत्र व स्तवन रचना जैनाचार्य देवचंदजी म.सा. का स्मरण करते हुए वंदन किया।
साध्वीश्री मृगावतीश्री व साध्वीश्री नित्योदयाश्रीजी ने आगमग्रंथों में सर्वाधिक कल्याणकारी व मोक्ष प्रदान करने कल्पसूत्र सूत्र का वाचन करते हुए बताया कि स्वप्न शास्त्र में स्वप्नों का वर्णन है। भगवान महावीर की भाग्यशाली पुण्य आमा जननी त्रिशला देवी को स्वप्न में दिखाई दिए 14 स्वप्नों की विशिष्टता व उसके फल के बारे में बताया । उन्होंने श्रेष्ठ स्वप्न विशिष्ट पुण्योदय के कारण ही त्रिशला माता के गर्भ से राग-द्वेष, को जीतने वाले ज्ञान, चरित्र व धर्म की प्रभावना करने वाले त्रिलोकीनाथ तीर्थंकर भगवान महावीर उत्पन्न हुए। साध्वीश्री मृगावती व नित्योदयाश्री ने कहा कि जैन दर्शन में कल्पसूत्र का वाचन एवं श्रवण करने वाले जीवात्मा निश्चिय मोक्ष सुख प्राप्त करने का अधिकारी बनता है। इस महान ग्रंथ में तीर्थंकर जीवन दर्शन, गणधर परम्परा एवं साधु समाचारी तीन अधिकार प्रस्तुत किए गए है। सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा ने बताया कि शनिवार को पालनाजी, खजांची व स्वप्नों की बोली के माध्यम से श्रावक-श्राविकाओं को पूजा, भक्ति का लाभ दिया गया।