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बीकानेर, गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा., मंथन प्रभ सागर, बाल मुनि मीत प्रभ सागर, साध्वी दीपमाला श्रीजी व शंखनिधि के सान्निध्य रविवार को ढढ्ढा कोटड़ी में ’’दादा दत सूरी’’ तप के उपलक्ष्य में क्रिया, इकतीसा का सामूहिक पाठ व भक्ति संगीत के साथ पूजा की गई। शुक्रवार को श्राविकाओं का दोपहर दो बजे से साढ़े तीन बजे तक ढढ्ढा कोटड़ी में शिविर होगा।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट, अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई की ओर से सकल श्रीसंघ के सहयोग से आयोजित चातुर्मास में पहली बार ’’दादा दत्त सूरी’’ तप के दौरान हुई पूजा में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने हिस्सा लिया।
अखिल भारतीय खरतरगच्छ युवा परिषद की बीकानेर इकाई के सचिव विक्रम भुगड़ी ने बताया कि इसके अलावा सिद्धि तप, आयम्बिल, एकासना, बयासना, अटठाई आदि की साधना चल रही है। वरिष्ठ श्रावक कन्हैयालाल भुगड़ी की बिना अन्न जल के (चौविहार तप ) की 42 वें दिन की गई। भुगड़ी पिछले वषों में र् भी 8 से 51 दिन की चौविहार तपस्याएं कर चुके हैं।
दादा गुरुदेव की पूजा में विचक्षण मंडल, अखिल भारतीय खरतरगच्छ महिला परिषद की बीकानेर इकाई की सदस्याओं ने विभिन्न राग व तर्जों के भजन, दोहे व मंत्रोंच्चारण के साथ न्हवण, चंदन, पुष्प, धूप, दीप,अक्षत, नेवैद्य, फल, वस्त्र इत्र, ध्वजा व इत्र पूजा की। पूजा के दौरान ’’ देना है तो दीजिये जन्म-जन्म का साथ, मेरे सिर पर रख दो दादा अपने दोनों हाथ’’, ’ओ गुरु सा ’’,’’ दत नाम दुख भंजन हारा आदि भजन तथा स्तुति ’’गुरु देव दयाल को , मन मेंं ध्यान लगाय, अष्ट सिद्धि नवनिधि मिले, मन वांछित फल पाय। ’’, ’’श्री गुरु चरण शरण में आयो, देख दरस मन अति सुख पाया’।
प्रवचन-गणिवर्य मेहुल प्रभ सागर म.सा. ने गुरुवार को ढढढा कोटड़ी में नियमित प्रवचन में कहा कि धर्म के तीन प्रमुख आधार अहिंसा, संयम व तप है। संयम व तप की साधना करने वालों की धर्म साधना में मंगलमय हो जाता है। तप के साथ देव, गुरु की भक्ति से आत्मबल मजबूत होता है।

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