बीकानेर,साध्वीश्री मृगावती, सुरप्रिया व नित्योदया के सान्निध्य में सोमवार को रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में नवपद ओली पर्व के तहत आचार्य पद की आराधना की गई। उपासरे में पिछले 22 दिवसीय भक्तामर पूजन व अभिषेक विधान भक्ति भाव के साथ संपन्न हुआ। मंगलवार को देवी पद््मावती का महापूजन भक्ति के साथ किया जाएगा।
भक्तामर पूजन व अभिषेक विधान में पूजा व मंगल आरती और प्रभावना का लाभ भीनासर के सुश्रावक मुकन्दलाल, राजकुमार, सरोज वैद परिवार व बाल व युवा श्राविका भावना, पूजा व आकांक्षा बैद ने लिया। पूजा में वरिष्ठ श्रावक विजय बैद व मूलाबाई दुग्गड़ ने भगवान आदिश्वर का भक्तिगीत प्रस्तुत कर उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं को गाने के लिए प्रेरित कर दिया। तमन्ना वैद व उनकी सहयोगियों ने नवपद ओली पर्व के अनुसार रंगोली सजाई। उपासरे में दोपहर को दादा गुरुदेव के इकतीसा की गूंज रही।
साध्वीश्री मृगावती ने मानतुंगाचार्य विररित भगवान आदिनाथ के ’’भक्तामर स्तोत्र’’ के पूजा व अभिषेक की अंतिम गाथा में बताया कि परमात्मा के यशोगान व भक्ति से भक्त का शत्रु भय नष्ट हो जाता है। परमात्म भक्ति में श्रद्धा, आस्था, समर्पण, निष्ठा जरूरी है। अनन्य परमात्म भक्ति तुझ से भक्त को महान बना देती है।
उन्होंने नवपद ओली पर्व के तीसरे दिन आचार्य पद की महिमा को उजागर करते हुए कहा कि देव, गुरु व धर्म की कृपा से कोई भी कार्य असंभव नहीं रहता । जैन धर्म में अनेकानेक आचार्य हुए है जिन्होंने स्वयं का आत्मोत्थान किया तथा श्रावक-श्राविकाओं को भी आत्म कल्याण के मार्ग दिखाया। अरिहंत, सिद्ध पद के बाद आचार्यों को भी देवो भव के सम्मान से वंदन किया जाता है। आचार्य भगवंत का महत्व जिन शासन में विशेष है। नवंकार महामंत्र मेंं ’’ ऊं नमो आयरियाणम््’’ से नमन व वंदन किया गया है। —-