बीकानेर,वर्ल्ड हैप्पीनेस-डे रविवार यानी आज 20 मार्च काे है। इससे पूर्व 10वीं यूएन हैप्पीनेस रैंकिंग 18 मार्च को जारी हुई। दुनिया के 146 देशों की हैप्पीनैस रैंकिंग में भारत 136वें स्थान पर हैं मतलब यह कि खुशी के लिहाज से आखिरी 10 देशों में। लगातार पांचवीं बार टॉप पर है फिनलैंड। चिंता इस बात की है कि भारत खुशी के मामले में पड़ोसी पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका और नेपाल जैसे देशाें से भी पीछे हैं। अच्छी बात यह है कि वर्ल्ड रैंकिंग जाे पिछले साल 139 थी, उसमें सुधार हुआ और इस बार 136 हाे गई है। मतलब यह कि काेविड की नेगेटिविटी से हम उबर रहे हैं।
यूएन हैप्पीनेस इंडेक्स की तर्ज पर लगभग उन्हीं पैमानों को आधार बना दिसंबर 2021 में राजस्थान में हैप्पीनेस सर्वे करवाया था। यह भारत के किसी प्रदेश का पहला हैप्पीनेस सर्वे है जिसे हैप्पीप्लस संस्था के सहयोग से 33 जिलों में सर्व किया। 6231 लोगों पर सर्वे में सामने आया कि प्रदेश जहां खुशी के मामले में देश के औसत स्कोर से आगे हैं वहीं प्रदेश में बीकानेर का नाम आखिरी जिलों में शामिल हैं। इन 33 जिलों में बीकानेर 29वें पायदान पर है। इसके बावजूद हमारा हैप्पीनैस इंडेक्स यानी जीवन जीने की प्रत्याशा देश के औसत से आगे है।
देश में यह 10 में से 4.2 है वहीं बीकानेर में यह आंकड़ा 6.32 है। लगभग 52 प्रतिशत बीकानेरी अपने काम से खुश हैं और 50 प्रतिशत को लगता है कि वे काम में अपने अचीवमेंट लगातार हासिल कर रहे हैं। हालांकि 29 प्रतिशत लोगों ने माना कि वे हाल ही स्ट्रेस से गुजरे हैं लेकिन 48 प्रतिशत का कहना है, हर हाल में हम जिंदगी से खुश हैं। जीवन प्रत्याशा, सामाजिक सहयोग, अपने फैसले लेने की आजादी, उदारता, भ्रष्टाचार के प्रति धारणा, सामुदायिक विश्वास आदि बिंदुओं को इस सर्वे में शामिल किया गया था।
जीवन की गुणवत्ता पर 10 में से 6.32 अंक यानी फ़र्स्ट क्लास
छह बिंदुओं पर केन्द्रित सर्वे में सर्वाधिक फोकस जीवन की गुणवत्ता के प्रति आमलोगों की राय जानना था। मतलब यह कि लोग अपने जीवन की गुणवत्ता कैसी समझते हैँ? इस मामले में बीकानेरियों ने खुद को 10 में से 6.32 अंक दिए। मतलब यह कि भले ही हम गुणवत्ता के पेपर में मैरिट मार्क्स हासिल नहीं कर पाए लेकिन यह फर्स्ट डिविजन उत्तीर्ण के बराबर है। जानिये किस पैमाने पर कितना खुश है बीकानेर
48.54 प्रतिशत हर हाल में खुश : सब चीजों को जानते-समझते हुए हम अपनी जिंदगी से हर हाल में खुश है। यह मानने वाले बीकानेरियों को 10 में 4.854 अंक मिलते हैं। मतलब यह कि 48.54 प्रतिशत बीकानेरी हर हाल में जिंदगी से खुश है। प्रदेश के बाकी जिलों से तुलना करें तो इस मामले में बीकानेर 21वें नंबर पर हैं।
जिंदगी के मायने जानते हैं 50.32 प्रतिशत : मेरी जिंदगी का मकसद और उद्देश्य मुझे पता है। हर दिन में इस मकसद के नजदीक पहुंच रहा हूं। यह मानने वाले बीकानेरियन की संख्या 50.32 प्रतिशत है। जिंदगी के प्रति इतने साफ दृष्टिकोण के लिहाज से बीकानेर प्रदेश में 11वें नंबर पर है।
47.92 प्रतिशत हाल-फिलहाल खुश : इस वक्त हम खुश हैं। यह मानने वाले 4.792 अंक के साथ 47.92 प्रतिशत है। प्रदेश में इस मामले में 24वें स्थान पर।
अचीवमेंट पर 49.81 % मुझे अपने गोल पता है और इस दिशा में उपलब्धि हासिल कर रहा हूं। मानने वाले 49.81 प्रतिशत बीकानेरी हैं। इस मामले में बीकानेर प्रदेश के 33 जिलों में 10वें स्थान पर हैं।
पसंद और योग्यता के मुताबिक काम 52.09 प्रतिशत : अपने टेलेंट के बारे में जानने और उसी अनुरूप काम करने वालों का प्रतिशत 52.09 प्रतिशत है। बीकानेर इस मामले में 16वें स्थान पर है।
रिश्ते और विश्वास पर 50.35% : जिंदगी में ऐसे लोग हैं जिनसे बहुत मजबूत रिश्ते हैं। इसके साथ ही लोग मुझ पर आंख मूंद कर भरोसा करते हैं। 50.35 प्रतिशत के साथ बीकानेर इस मामले में प्रदेश में 15वें स्थान पर है।
और ये मानते हैं..सब मिल गया : 48.40 प्रतिशत ऐसे जो मानते हैं कि उन्हें जिंदगी में जो चाहिए वह सब कुछ मिल गया। लाइफ परफेक्ट है।
तनाव बहुत है : 29.26 प्रतिशत बीते दिनों में तनाव और अवसाद में रहे हैं। तनाव की सबसे बड़ी वजह, कार्यस्थल की चुनौतियां, स्वास्थ्य, दूसरों की उम्मीद से अधिक अपेक्षाएं, जॉब नहीं होना, पढ़ाई संबंधी तनाव है।
भारत में खुशी बढ़ाने के जतन
आईआईटी खड़गपुर में रेखी सेंटर फॉर साइंस एंड हैप्पीनेस चल रहा है। केन्द्र के सहयोग से चल रहे इस सेंटर का मकसद यहां के आईआईटीयन के जरिए देशभर में खुशनुमा माहौल बनाने के प्रयास करना है।
आईआईएम जम्मू में ‘आनंदम : सेंटर फॉर हैप्पीनेस’ चालू किया गया है।
मध्यप्रदेश सरकार आनंद विभाग गठित कर चुकी है।
द न्यू टाउन कोलकाता डवलपमेंट अथॉरिटी और बंगाल के हाऊसिंग डिपार्टमेंट ने इन्फ्रास्ट्रक्चर और घरों की बनावट पर आईआईटी खड़गपुर के सेंटर फॉर हैप्पीनेस की विशेषज्ञता की मदद ली है।
खुशहाल देशों में खुशी के 3 बड़े कारण-सहयोग, सामंजस्य और उदारता
146 देशों में सर्वे के आधार पर बनी यह रिपोर्ट इसलिए भी खास है क्योंकि कोविड की नकारात्मकता से जूझती मानवीयता से पूछा गया था कि क्या आप खुश हैं? अगर हां, तो खुशी का राज क्या है? यह जानकर हैरानी होगी कि सबसे खुशहाल सात देशों में खुशी के पहले तीन कारण जो सामने आए वे हैं, आपसी सद्भाव, सहयोग और उदारता। मतलब यह कि खुशी पैसा और संसाधनों की मोहताज नहीं है।
राजस्थान का प्रतापगढ़ सबसे खुश
राजस्थान के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल प्रतापगढ़ के लोग खुशी में पहले नंबर पर हैं। इस जिले में मोबाइल कनेक्टीविटी बहुत कम है। बच्चे अब भी पारंपरिक खेल खेलते हैं। बुजुर्ग चौपालों पर हथाई करते हैं। एक-दूसरे के सुख-दुख में लोग शामिल होते हैं। इससे खुशी बढ़ती है।
भूटान; यहां जीडीपी नहीं खुशी मापी जाती है
भूटान वह देश है जिसने दुनिया को हैप्पीनेस इंडेक्स दिया। यहां के चौथे राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक ने 1972 में यह इंडेक्स प्रस्तुत किया गया था। वांगचुक ने ग्रॉस नेशनल प्रोडक्ट यानी जीएनपी की बजाय ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस यानी जीएनएच लागू किया। इसका मकसद है भलाई को बढ़ावा देते हुए गैर आर्थिक पहलुओं को बराबरी का महत्व देना। संयुक्त राष्ट्र ने इसी आधार पर हैप्पीनेस इंडेक्स और वर्ल्ड हैप्पीनेस डे को अपनाया।
सर्वे: संभाग का श्रीगंगानगर प्रदेश में दूसरा सबसे खुश
अच्छी बात यह है कि इस सर्वे में बीकानेर को ऐसे जिले के रूप में पहचाना गया है जहां लोग अपने बूते छोटे-छोटे उद्योग स्थापित कर न केवल उन्हें सफलता से चला रहे हैं वरन बड़ी तादाद में स्थानीय लोगों को रोजगार दे रहे हैं। इस लिहाज से उद्योग विभाग के आंकड़ों से मूल्यांकन करें तो बीकानेर में लगभग 28 हजार लघु उद्योग पंजीकृत हैं।
इनमें से 13 हजार को नॉन एक्टिव मान लें तब भी लगभग 15 हजार चालू हालत में हैं। ऐसे में प्रति उद्योग 10 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार माना जाएं तो लगभग 1.50 लाख को सीधे तौर पर नौकरी या काम मिला हुआ है। एक उद्योग में पांच व्यक्तियों को अप्रत्यक्ष रोजगार मान लिया जाएं तो यह संख्या लगभग 75 हजार होती है।
ऐसे में दो लाख से अधिक लोगों को बीकानेरी अपने बूते ही रोजगार दे रहे हैं। इनमें से ज्यादातर उद्योगों में महिलाओं का बड़ा योगदान है। मसलन, पापड़-बड़ी मेकिंग, ऊन कताई आदि। सर्वे के नतीजे बताते हैं कि लगभग 50 प्रतिशत बीकानेरी जानते हैं कि उनका गोल क्या है?
जाहिर है कि उद्यमशीलता और रोजगार में हम पीछे नहीं है। ऐसे में खुशी के पायदानों पर फिसलने की वजह जब तलाशी गई तो सामने आया कि लाइफ लेडर यानी जीवन प्रत्याशा या उमंग कम होती जा रही है। हालांकि जिस दौर में सर्वे हुआ था उसमें कोविड के असर को भी इसके लिए जिम्मेदार माना जा सकता है।
इसके अलावा करप्शन का परसेप्शन बहुत ज्यादा है। मतलब यह कि अधिकांश लोग मानते हैं कि भ्रष्टाचार के बिना यहां कोई काम नहीं होता। बीकानेर संभाग की बात करें तो प्रदेश के सबसे खुशी वाले जिलों में दूसरे नंबर पर संभाग का श्रीगंगानगर है। इससे इतर इसीसे सटता और कभी श्रीगंगानगर का हिस्सा रहा हनुमानगढ़ जिला 31वें पायदान पर है। चूरू भी हैप्पीनेस इंडेक्स में 33 में से 20वें स्थान पर है।