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बीकानेर, विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस के अवसर पर शुक्रवार को पीबीएम अस्पताल के मानसिक एवं नशामुक्ति विभाग में ‘सामुदायिक दयालुता की शक्ति का जश्न’ थीम पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पीबीएम अस्पताल मानसिक रोग विभाग के आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल गोयल ने की। उन्होंने बताया कि इस बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों को शुरूआती दौर में इलाज करवाना आवश्यक है। यह एक जटिल मानसिक बीमारी है। इस रोग में व्यक्ति एक गंभीर मानसिक विकार से पीड़ित होता है। जो उनके सोच-समझ में व्यवधान पैदा करता है। दूसरी ओर भ्रम और अव्यवस्थित सोच और व्यवहार करता है।
*सिजोफ्रेनिया बीमारी के लक्षण*
इसके लक्षण शक-वहम करना, काल्पनिक आवाजें सुनना, अत्यंत अनियमित व्यवहार आदि होता है। विभाग के क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. अन्जू ठकराल ने बताया कि स्वस्थ विचार हमारे शरीर को भी स्वस्थ्य रखने में अहम भूमिका निभाता है। स्वस्थ विचारों के लिए हमें खेल-कूद, व्यायाम, सामाजिक कार्यों में भागीदारी आदि करते रहना चाहिए।
इस दौरान रेजिडेन्ट चिकित्सक डॉ. विशाल राणा, रेजिडेन्ट चिकित्सक डॉ. पवन सारस्वत, रेजिडेन्ट चिकित्सक डॉ. विजय शंकर बोहरा, तकनीकी सहायक प्रवीण ठाकुर, मानसिक रोग विभाग से रेजिडेन्ट डॉ. डिम्पल ओझा, डॉ. अदिति सहित रेजिडेन्ट चिकित्सकों, नर्सिंग अधिकारियों व कर्मचारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरूआत में सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति पर आधारित शॉर्ट फिल्म दिखाई गई।

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