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बीकानेर,महिला संबंधी वर्जनाओं पर मंथन और मोबाइल फोन पर इसके विभिन्न आयामों पर शॉर्ट फिल्म बनाने संबंधी तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आगाज महिला प्रकोष्ठ , ईएलटीआई बीकानेर चैप्टर और कथागो के संयुक्त तत्वावधान में डूंगर महाविद्यालय में हुआ। परंपरागत समाज में अनेक प्रकार के प्रतिबंधों और वर्जनाओं के बीच जीने के लिए महिलाएं अभिशप्त होती हैं। यहां तक कि उन विषयों पर बात करना भी वर्जित समझा जाता है। कार्यक्रम का संचालन डॉ शशि कांत आचार्य द्वारा किया गया। मासिक धर्म, मर्दानगी जैसे अनेक मुद्दों के बारे में समाज और युवाओं को संवेदनशील बनाने संबंधी इस राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ अविनाश जोधा ने इस विचार पर काम करने की आवश्यकता के कारणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि यह विषय जब तक खुलकर युवाओं के द्वारा नहीं उठाए जाएंगे तब तक समाज में परिवर्तन की लहर नहीं आ पाएगी। हमे इन सब विषयों पर जागृति एवं संवेंदनशीलता को बढ़ाने के प्रयासों की महत्ती आवश्यकता है। किसी भी समाज को अपने परिपूर्ण विकास के लिये समाज के सभी अंगों के सर्वांगीण विकास पर जिसमे उनकी समस्याएँऔर असहमति भी शामिल हो पर ध्यान देने की ज़रूरत है। इस कार्यशाला से पूर्व राजकीय डूँगर महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने समाज के विभिन्न वर्गों से जिन विषयों पर बात करना भी अभी तक वर्जित माना जाता है उन विषयों पर व्यापक स्तर पर बातचीत की गई और उसमे नैतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं मानसिक बाधाओं के बारे में पता चला। कई सारे लोग माहवारी जैसे विषय पर बात भी नहीं करना चाहते थे जबकि बहुत बड़ी संख्या में लोगो ने इस विषय पर अपने विचार खुल कर रखे। इस पूरे क़वायद से एक बात खुल कर सामने आयी कि समाज के एक बड़े हिस्से में अभी भी व्यापक स्तर पर मानसिक परिवर्तन की आवश्यकता है। विद्यार्थियों ने सौ से अधिक लोगो से इन विषयों पर बातचीत की और इन सब को कार्यशाला में प्रदर्शित किया।विद्यार्थियों द्वारा बनाई जाने वाली शॉर्ट फिल्म्स को कार्यशाला के अंतिम दिन प्रदर्शित किया जाएगा। कार्यशाला संयोजक डॉ इंद्रा बिश्नोई, कार्यशाला आयोजन सचिव डॉ अनिला पुरोहित एवं उपप्राचार्य डॉ इंद्र सिंह राजपुरोहित ने कार्यशाला को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए एवं कार्यशाला की सफलता के लिए शुभकामनाएँ दी। कार्यशाला की सह-संयोजक डॉ सोनू शिवा ने महाविद्यालय प्रशासन एवं सभी आये हुए आचार्यों का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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