बीकानेर,राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तकनीकी शिक्षा में प्रभावी क्रियान्वयन हेतु भारतीय ज्ञान एवं दर्शन, सांस्कृतिक धरोहर एवं संस्कृति आधारित नवीन पाठ्यक्रम को लागू करने की पहल करते हुए बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय द्वारा एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जनसम्पर्क अधिकारी विक्रम राठौड़ ने बताया कि बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अपेक्षाओं के अनुरूप अपने विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान दर्शन, सांस्कृतिक धरोहर, संवैधानिक और वैश्विक मूल्य आधारित सृजनशीलता पर पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम में शामिल करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। इस कार्यशाला में संबद्ध महाविद्यालयों के प्रतिनिधियों, शिक्षकों विद्यार्थियों एवं विभिन्न उच्च शैक्षिक संस्थानों, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा से जुड़े हितधारको ने सहभागिता निभाई।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली के राष्ट्रीय सचिव एवं प्रख्यात शिक्षाविद प्रो.अतुल कोठारी थे। कार्यशाला संयोजक एवं डीन फैकल्टी अफेयर्स डा.धर्मेन्द्र यादव ने भारतीय ज्ञान परंपरा पाठ्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डाला और कहा की बीटीयू द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के संदर्भ में भारतीय ज्ञान दर्शन एवं सांस्कृतिक परंपरा के साथ जोड़ते हुए विद्यार्थियों को पुनः भारतीय संस्कृति की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए नवीन पाठ्यक्रम विकसित किया जा रहा है।जिससे हमारे प्रदेश के असंख्य युवा लाभान्वित होंगे। डीन अकादमिक अमित माथुर ने सभी का धन्यवाद स्थापित किया।
मुख्य अतिथि प्रो. अतुल कोठारी ने अपने उदबोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लक्ष्य प्रत्येक विद्यार्थी को ज्ञान केन्द्रित भारतीय मूल्यों से विकसित गुणवत्तापूर्ण उच्चतर शिक्षा उपलब्ध कराना है। यह भारत को वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बनाकर एक जीवंत और न्याय संगत समाज में बदलने के लिए प्रत्यक्ष रूप से सहयोग करेगी।
कुलपति प्रो.अंबरीश शरण विद्यार्थी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा की एक समृद्ध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि रही है और हमारी संस्कृति का गौरव पूरे विश्व में आज भी प्रासंगिक है। इस दिशा में शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा अनेक अभिनव प्रयास किये जा रहे हैं। यह शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा प्रणाली की चारित्रिक विशेषता पर ध्यान केंद्रित करती है।
विशिष्ठ अतिथि प्रो. विजय कर्ण, नव नालंदा महाविहार, नालंदा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार 2040 तक भारत के लिए एक ऐसी शिक्षा प्रणाली का लक्ष्य होगा जो कि किसी से पीछे नहीं है। ऐसी शिक्षा व्यवस्था जहां किसी भी सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि से संबिंधत शिक्षार्थियों को समान रूप से सर्वोच्च गुणवत्ता की शिक्षा उपलब्ध हो सकेगी।
डॉ प्रदीप गोयल,दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय ने कहा कि प्राचीन भारतीय शिक्षा अपने उद्देश्यों एवं व्यावहारिकता के कारण संसार में अनूठी थी। भारत के पास बौद्धिक अनुसंधान एवं मूल ग्रंथों के धरोहर की एक अत्यंत समृद्ध परंपरा रही है जो कि सदियों पुरानी है।