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बीकानेर, प्रसार शिक्षा निदेशालय, स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि fविश्वविद्यालय के तत्वाधान में आज गुरुवार को कृषि विज्ञान केन्द्रों के नवाचारी किसानों व स्नातकोत्तर विद्यार्थियों की कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि नवाचारी किसानों के द्वारा किए जा रहे प्रयोगों व तकनीकों को जानने के लिए इस कार्यशाला के माध्यम से हमारे विद्यार्थियों को एक मंच मिला है। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा किये जा रहे प्रयोगों व तकनीकी विकास के शोध परिणामों की समीक्षा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों व शिक्षकों द्वारा किए जाने की आवश्यकता है ताकि इनके प्रयासों को देश भर में पहचान मिले। किसान रोज खेतों पर जाते हैं और उनका पूरा जीवन खेतों पर ही गुजरता है इसलिए किसान भी श्रेस्ठ वैज्ञानिक हैं। विद्यार्थियों को इनसे सीखने की आवश्यकता है। उन्होंने नवाचारी किसानों के सुझावों और तकनीकों को कृषि छात्रों द्वारा अपने शोध कार्यों में सम्मलित किये जाने की आवश्यकता जताई |
डॉ. सुभाष चन्द्र, निदेशक प्रसार शिक्षा ने कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि कार्यशाला में विश्वविद्यालय के सातों कृषि विज्ञान केन्द्रों से आए कुल 19 किसानों ने अपने नवाचारों व विचारों से विश्वविद्यालय को अवगत कराया। नवाचारी किसान जसविन्द्र सिंह, मूलाराम, लालचन्द सैनी, मन्नी राम लाम्बा, श्री सुखदेव सिंह, खेताराम, जसराज माली, शिवकुमार, दिलीप सिंह गहलोत आदि ने कार्यशाला में समन्वित कृषि प्रणाली, जैविक खेती, दुग्ध प्रसंस्करण इकाई, बकरीपालन में नस्ल संवर्धन व संरक्षण, सूक्ष्म सिंचाई पद्धति से सब्जी उत्पादन, गन्ने की प्राकृतिक खेती एवं प्रसंस्करण व क्षारीय पानी को सिंचाई योग्य बनाने आदि प्रयोगों व तकनीकों की जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ. सुभाष चन्द्र ने मॉडल विलेज के बारे में कार्ययोजना भी प्रस्तुत की। किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्र से प्राप्त की जा रही वैज्ञानिक व तकनीकी सूचनाओं के लाभ को साझा किया एवं इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालय का आभार भी व्यक्त किया। इस अवसर पर अधिष्ठाता डॉ आई.पी. सिंह व अनुसंधान निदेशक डॉ. पी. एस. शेखावत ने अपने संबोधन में किसानों के नवाचारों एवम् इस कार्यशाला के आयोजन की सराहना की । कार्यक्रम के अंत में डॉ. दीपाली धवन ने धन्यवाद ज्ञापित किया | कार्यक्रम का संचालन उपनिदेशक डॉ. आर के. वर्मा ने किया।

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