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बीकानेर,हिंदी राजस्थानी के देश के ख्यात नाम साहित्यकार लक्ष्मीनारायण रंगा की स्मृति में प्रति माह होने वाले साहित्यिक एवं सृजनात्मक आयोजनों की श्रृंखला में इस माह दिसंबर में महिलाओं पर केंद्रित नगर में पहली बार हिंदी उर्दू और राजस्थानी भाषा की रचनाकारों का महिला लेखन और चुनौतियां विषयक परिसंवाद का आयोजन स्थानीय नागरिक भंडार स्थित सुदर्शन कला दीर्घा में आयोजित हुआ । परिसंवाद में सार्थक संवाद हुआ जिसका केन्द्रीय भाव चुनौतियों से ही संघर्ष कर सृजन करना महिला लेखन की सफलता है।

महत्वपूर्ण परिसंवाद की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ़ शीला व्यास ने कहा की महिला रचनाकार ने हर दौर में विपरीत स्थितयों में सृजन का दायित्व निर्वहन किया है चाहे चुनौतियां कितनी भी हो ।यही महिला साहित्यकारों की सफलता है ।आयोजन की मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवियत्री प्रमिला गंगल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा चुनौतियां ही हमारी जीवन शक्ति है वही कुछ करने की लालसा जगाती है ऐसे में हमें चुनौतियों से मुकाबला करना चाहिए । यही हमारी सृजन शक्ति है ।
परिसंवाद की विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ बसंती हर्ष ने कहा महिलाओं को कदम कदम पर शारीरिक एवं मानसिक समस्याओं से रूबरू होना होता है।ऐसे में उन्हें प्रोत्साहन मिलना जरूरी है। इस बाबत ऐसे आयोजन एवं आयोजक संस्थान साधुवाद की पात्र है ।
परिसंवाद की मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार इन्दिरा व्यास ने कहा कि महिला की चुनौती ही उसका हौसला है ,तभी तो महिलाओं ने हर कालखण्ड में अपने सृजनात्मक दायित्व को निभाया है । परन्तु आज के दौर में महिलाओं के सामने कई स्तरों कई तरह की चुनौतियां है जिससे भी संघर्ष कर वह सृजनरत है यह सुखद है ।
प्रारम्भ में विषय प्रवर्तन करते हुए वरिष्ठ कवि-कथाकार कमल रंगा ने कहा महिला लेखन हेतु सामाजिक पारिवारिक आर्थिक आदि हर स्तर पर हर दौर में चुनैतियां रही है फिर भी
उसने चुनौतियों को सृजन पूंजी माना है ।
परिसंवाद में अपनी रचनात्मक भूमिका निभाते वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ रेणुका व्यास ने कहा की महिला रचनाकार को अनेक स्तरों जूझना पडता है साथ ही आज भी उसको
बंधे बंधाये सिस्टम और अनेक वर्जनाओं से मुठभेड करनी होती है।इसी क्रम में डाॅ कृष्णा आचार्य ने कहा कि महिलाएं चुनौतीपूर्ण जीवन में सृजन कर अपनी रचनात्मकता का काम करती है साथ ही जीवन के अन्य उपक्रम करती है ।
परिसंवाद में वरिष्ठ कवियत्री सरोज भाटी ने कहा पुरूष प्रधान समाज के चलते महिलाओं का सृजनात्मक योगदान महत्वपूर्ण है।वहीं युवा साहित्यकार ज्योति रंजना वधवा ने कहा हमारी चुनौतियां सै ही
हमें सम्बल मिलता है । यही हमारी सृजन में सहायक है ।
इसी कडी में वरिष्ठ कवि-कथाकार इला पारीक ने कई पौराणिक संदर्भ देते हुए कहा चुनौती बोझ नहीं हमारी ताकत है इसे समझना होगा ।जहां तक प्रोत्साहन की बात है तो ऐसे आयोजन इसके अनुपम उदाहरण है । वरिष्ठ साहित्यकार डॉ आशा भार्गव ने ऐसे आयोजन को सार्थक बताते हुए महिलाओं की चुनौतियों को रेखांकित किया।
वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने सभी का स्वागत करते हुए कीर्तिशेष लक्ष्मीनारायण रंगा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व रखते हुए उन्हें समर्पित आयोजन को नवपहल वताया । वरिष्ठ शिक्षाविद कवि संजय सांखला ने संस्थान के नवाचारों को रेखांकित कर ऐसे आयोजन की सार्थकता बताई ।
सार्थक संवाद में गरिमामय साक्षी के रूप में जाकिर अदीब,
आत्माराम भाटी, राजेन्द्र जोशी, वली गौरी,इरशाद अजीज, हरिनारायण आचार्य,डाॅ.एस.एन. हर्ष, गोपाल, डाॅ गौरीशंकर प्रजापत,इसरार हसन कादरी, गोपाल कुमार कुंठित
डाॅ अजय जोशी,जुगल किशोर पुरोहित,मनीष शर्मा शम्मी,
प्रमोद शर्मा, हरिकृष्ण व्यास,
डाॅ फारूक चौहान, पुनीत रंगा,
बुनियाद हुसैन,गंगाबिशन सहित कई गणमान्य ने आयोजन को महिला सशक्तिकरण में एक
सकारात्मक पहल बताते हुए संस्थान को साधुवाद कहा।

सफल नवपहल के आयोजन का सरस सुन्दर संचालन युवा कवियत्री कपिला पालीवाल ने
किया । सभी का आभार प्रकट
युवा कवि गिरिराज पारीक किया ।

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