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बीकानेर,पशुधन को हरा व पौष्टिक चारा उपलब्ध करवाने और स्वयं सहायता समूहों को नई आर्थिक गतिविधियों से जोड़ते हुए स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से ब्लाक स्तर पर मॉडल चारागाह विकसित किए जा रहे हैं। इन चारागाहों की सार संभाल का समस्त जिम्मा संबंधित ग्राम पंचायत के महिला स्वयं सहायता समूहों के कंधों पर होगा।
जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल की पहल पर महात्मा गांधी नरेगा योजनांतर्गत चारागाह विकास का यह काम किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के तहत मोमासर में 25 हैक्टेयर, उदयरामसर में 27 हेक्टेयर, बदरासर में 30 हेक्टेयर, दियातरा में 22 हेक्टेयर, रावनेरी में 22 हेक्टेयर तथा थारुसर 5 हेक्टेयर भूमि पर माडल चारागाह विकसित किये जा रहे हैं। स्वयं सहायता समूहों द्वारा इन क्षेत्रों पर एलोवेरा, खेजड़ी, इमली, सेवण घास, धामण घास व स्थानीय महत्व के पौधारोपण कार्य करवाए जा रहे हैं ।
*महिला स्वयं सहायता समूह करेंगी देखभाल*
विकसित किए जा रहे चारागाह क्षेत्र से राजीविका के स्वयं सहायता समूहों को जोड़ा गया है। एस एच जी के सदस्यों को इन क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल प्रबंधन, रख रखाव एवं निगरानी आदि में नियोजित कर रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है, चारागाह विकास होने पर इनके संधारण का दायित्व स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सौंपा जाएगा।
जिला कलक्टर भगवती प्रसाद कलाल ने बताया कि चारागाह विकसित होने से पशुओं को हरे चारे की उपलब्धता होगी। वृक्षारोपण से मरूस्थल के प्रसार पर रोक लगेगी। पौधारोपण से पर्यावरण व पारिस्थतिकी तंत्र का संरक्षण भी हो सकेगा। इन चारागाह में होने वाली उपज से स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों के लिए नई आर्थिक गतिविधि प्रारम्भ होगी तथा गांवों में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
*डिचकमबेन्ट फेंसिंग से होगी सुरक्षा*
जिला कलक्टर ने बताया कि विकसित चारागाह क्षेत्र की सुरक्षा के लिए डिचकमबेन्ट फेंसिंग भी कराई जा रही है। इस व्यवस्था के तहत विकसित चारागाह के चारों और खाई नुमा संरचना बना कर सुरक्षा करवाई जाएगी। उन्होंने बताया कि जिले में अधिक से अधिक चारागाह विकास के कार्य शीघ्र करवाएं जाएंगे।

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