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बीकानेर,विश्व पर्यावरण दिवस पर जागरूकता का संदेश देती है महिलाएं जो पेड़ पौधों, गाय गोचर, को बचाने का अनुष्ठान बीकानेर में वर्षों से चल रहा है। सुबह हो या शाम, आंधी हो या तूफान , सर्दी हो या गर्मी बीकानेर की ये महिलाएं बिना रुके पर्यावरण की संरक्षा करने में जुटी हुई है। बीकानेर की महिलाएं बरसों से पेड़ पौधों को सींच रही है। वे प्रतिदिन समूह में एकत्रित होकर सिर पर घड़ा रखकर पंक्तिबद्ध होकर गोचर भूमि में जाती है ।वहां गायों के लिए खेलियों में, पक्षियों के लिए पालसियों में और पेड़ पौधों को पानी देती है। बीकानेर की सुजानदेसर और भीनासर की यह गोचर भूमि लगभग साढ़े 11 हजार मीटर में फैली हुई है। भीनासर के मुरली मनोहर मंदिर के पास यह महिलाएं एकत्रित होती है यहां से वह पंक्ति बंद होकर सिर पर घड़ा लिए निकल पड़ती है एक ऐसे उद्देश्य के लिए जो मानव सभ्यता के लिए बहुत जरूरी है । उन्हें यह परंपरा का निर्वहन करना विरासत में मिला है । इसे अगर बेटन रिले कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी क्योंकि किसी की सासु मां ने तो किसी की दादी ने आगे यह जिम्मेदारी सौंपी है।महिलाओं के बरसों से तप के कारण गोचर भूमि के पेड़ पौधे लहलहा रहे हैं।

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