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बीकानेर,राजस्थान में मद्य संयम नीति की कठोरता से रा पालन करने की बेहद जरूरी है, वरना भविष्य में इसके अंजाम खतरनाक होंगे। आज हालात यह है कि प्रदेश में रात 8 बजे बाद भी शराब धड़ल्ले से बिक रही है। ऐसा नहीं है कि आबकारी विभाग और पुलिस महकमा इस बात से बेखबर हैं, दोनों विभागों के आला अधिकारियों से लगाकर निचले स्तर तक कार्मिक सब कुछ जानते हुए भी आंखें मूंदे हुए हैं। यही नहीं, हाइवे से 500 मीटर के अंदर शराब की दुकानों का होना भी कानून को धता बता रहा है। सरकार के आला अधिकारी नियमों के प्रति कठोर रवैया नहीं अपना रहे। हाल ही में विधानसभा में भी यह मुद्दा उठा था। इस मुद्दे पर कई बार हंगामा होता है, माहौल गरमाता है और फिर जस के तस।

शराब के अवैध कारोबार को रोकने के लिए दृढ़ निश्चय की आवश्यकता है। हरियाणा से ट्रक चल कर पूरा राजस्थान पार कर गुजरात पहुंच जाता है। हरियाणा निर्मित शराब की खपत राजस्थान व गुजरात में खूब में होती है। कई थानों के सामने से शराब से लदे ट्रक प्रतिदिन गुजरात तक पहुंचते हैं, लेकिन इनकी धरपकड़ बहुत कम होती है। कानून के रखवालों को यह नजर नहीं आती। यही नहीं, नदी, तालाब, पोखर के किनारों पर आज भी अनगिनत भट्टियां प्रतिदिन जल रही हैं और हथकढ़ शराब बनाई जा रही है। इस पर भी कभी कठोरता से कार्रवाई नहीं होती है। देसी शराब कोई स्प्रिट से तो कोई महुआ से बना रहा है। बिना मापदंड के होने से कई बार यह जहरीली होकर असमय कई लोगों को मौत के मुंह में धकेल चुकी है।

शराब का खेल भी निराला है। जिस गांव में लोगों के पास खाने के दाने और तन पर पहनने को कपड़ा तक नहीं है, वहां लाखों की शराब बिक जाती है। गुजरात से सटे राजस्थान के कई गांवों में यह खेल खूब देखने को मिलता है। यही नहीं इन गांवों में शराब की दुकानों की बोली भी बहुत ऊंची जाती है। शराब के धंधे में लिप्त लोगों के पास कमाई के कई पैंतरे हैं। कच्ची शराब बनाने से लेकर शराब की तस्करी तक में लाखों-करोड़ों के वारे-न्यारे हैं। ये हालात हमारी मद्य संयम नीति को अंगूठा दिखा रहे हैं। आज आवश्यकता है कि इन पर कानून का शिकंजा कठोरता से कसा जाए। यह तो संभव नहीं है कि एक दिन में मद्य निषेध हो जाए पर इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किए जाने का खाका तैयार कर लेना चाहिए।

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