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बीकानेर,आजादी के बाद सबसे बुरे दौर से गुजर रही राष्ट्रीय कांग्रेस के चिंतन शिविर के बाद क्या आप शीर्ष नेतृत्व पद से सन्यास लेंगे ? वाकया आप का नेतृत्व कांग्रेस में अप्रासंगिक हो गया है। आपको जनता मानती नहीं है। आप पार्टी में बाधा बन हुए हो। आप के कारण ही कांग्रेस का यह हश्र हुआ है। आप हैं कि इस बात को स्वीकारते ही नहीं। किसी की मानते ही नहीं हो। पार्टी में पद का त्याग करने में ही पार्टी का हित है। आप मानिए काग्रेस पार्टी से सन्यास ले लीजिए। नेतृत्व की टकराहट, संगठनात्मक सुधार, मिशन 2023 के लक्ष्य स्वत: हासिल हो जाएंगे। आपका सन्यास लेने से ही पार्टी के प्रति आपका फर्ज पूरा हो जाएगा। आपके सन्यास से परिवारवाद का अंत हो सकेगा। एक परिवार एक टिकट की बात में भी आपका होना बाधा है। पार्टी से आपने सत्ता सुख लिया। पार्टी के हित में नहीं अपने हित में पार्टी को भुनाया। अपनी सत्ता नहीं जाए। इसके खातिर पार्टी को दाव पर लगाया। आप चिंतन मनन करो ना कि आप पार्टी और भावी पीढ़ी के लोगों की राजनीति में कितनी बड़ी बाधा हो। कांग्रेस में ग्रुप 23 की तो आपने बोलती बंद कर दी। गांधी परिवार के इतर कांग्रेस की राजनीति के कोई मायने भी हैं। इस विषय पर चिंतन शिविर में मनन होगा ? राजस्थान की राजनीति में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा कोई विकल्प ही नहीं है। इस विषय पर भी गहन चिंतन मनन होगा ही। राहुल गांधी ही राष्ट्रीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष होंगे। इस पर केवल चिंतन ही नहीं गंभीर मनन भी होगा। अंत में निष्कर्ष वो निकलेगा ढाक के तीन पात। न सोनिया गांधी पार्टी के प्रति अपना फर्ज पूरा करेगी। न राहुल गांधी ने अब तक जो पार्टी से लिया उसको लौटने का काम करेंगे। न ही प्रियंका गांधी के लिए एक परिवार एक टिकट का नियम लागू होगा। सत्ता संगठन में कोन कैसे कायम रह सकते है। यह गेम प्रभावी रूप से खेला जाना है। भगवान के लिए चिंतन शिविर में चिंतन मनन से अगर आप में राजनीतिक शुद्धि आती है तो राजनीति से तुरंत सन्यास ले ले। आप कोई भी हो सकते हो। जरा सोचो आप खुद का कितना भला करते हो और पार्टी का कितना ?

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