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बीकानेर,राजस्थान में सियासी घमासन के बीच कयासों का बाजार गर्म है। सचिन के बजाय सी. पी. जोशी, लाल चंद कटारिया, शांति लाल धारीवाल समेत गहलोत समर्थक 102 विधायकों में से किसी योग्य के नाम मुख्यमंत्री के लिए उछले हैं। धारीवाल ने अपने आवास पर विधायकों की बैठक में कहा है कि सी. पी. जोशी मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहते । बकोल धारीवाल जोशी कहते हैं कि वे जहां हैं वहीं खुश है। कयास यह भी लगाया जा रहा है कि बीकानेर का भाग्योदय होना है। सियासी ताकत में सचिन को पटकनी मिलती है तो बीकानेर भी सीएम अथवा डिप्टी सीएम डिजर्व करता है। बीकानेर के नेता की निष्ठा भी गहलोत के प्रति कम नहीं है। राजनीति भ्रम का खेल भी है। कहा कुछ जाता है होता कुछ है। धारीवाल के आवास पर विधायकों की बैठक में बीकानेर के वरिष्ठ नेता की निष्ठा इस ओर संकेत भी दे रही है। अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में पायलट समर्थकों ने सचिन पायलट के पोस्टर सत्यमेव जयंते क्या लगा दिए। उनके विरुद्ध विद्रोह की ज्वाला भड़क गई। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि सचिन का फेवर कर रहे आला कमान को भी चुनौती दे दी गई। गहलोत समर्थक विधायकों के इस्तीफे, मांगे और शर्तें क्या इंगित करती है ? विधायक आला कमान के भेजे पर्यवेक्षकों की ओर से बुलाए बैठक में नहीं गए। विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफे सौंपे और शांति धारीवाल के आवास पर मीटिंग की। माकन का नाराज होना और खड़गे की आला कमान को रिपोर्ट देने की बात के मायने यह है कि सब कुछ आला कमान के नियंत्रण से बाहर है। राजस्थान में कांग्रेस पार्टी का सियासी दंगल क्या गुल खिलाएगा ? यह तो समय की नजाकत से ही स्पष्ट हो सकेगा। यह तो माना जा रहा है कि कांग्रेस में सत्ता की नई सियासी समीकरणों में बीकानेर के लिए कुछ बड़ा होने के भी संकेत हैं। शायद सच हो जाए ?

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