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बीकानेर,संभाग के सबसे बड़े अफसर ने कहा, हिदायत दी, कड़े निर्देश दिए और जिला प्रशासन पर जूं ही नहीं रेंगी ऐसे में कोई प्रशासन से क्या उम्मीद करें। संभागीय आयुक्त डॉ. नीरज के पवन ने कहा कि शहर में यातायात व्यवस्था बेहतर रहे, इसके मद्देनजर मुख्य मार्गों पर अनाधिकृत रूप से लगे ठेले और खोखे हटाए जाएं। मुख्य मार्गों पर ट्रैफिक का दबाव कम हो, इसके लिए ऐसे मार्गों को चिन्हित करें जहां से यातायात डाइवर्ट किया जा सके। बेसहारा पशुओं को पकड़ कर गौशालाओं और दूरस्थ स्थानों पर छोड़ा जाए। इन निर्देशों को दूसरा सप्ताह शुरू हो गया है रत्ती भर ही असर नहीं हुआ है। इस बैठक में कलेक्टर और एसपी दोनों बैठे उनके निर्देश सुन रहे थे। यही नहीं सभी संबद्ध विभागों के अधिकारी बैठक में शामिल थे। इस बैठक के असर को प्रशासन की जन हित में सक्रियता के आईने में परखा जा सकता है। और तो कुछ नहीं संभागीय आयुक्त ने बैठक लेकर अपनी प्रशासनिक साख पर प्रश्न चिन्ह लगा लिया है। क्या ऐसी सुधारो को लेकर आयोजित बैठके निरर्थक ही होती है ?

संभागीय आयुक्त ने यातायात व्यवस्था में सुधार और सौन्दर्यकरण के संबंध में अधिकारियों की बैठक और आधिकारिक दिशा-निर्देश के कोई मायने भी हैं क्या ? मुख्य मार्गों विशेषकर महात्मा गांधी मार्ग, कोटगेट, भीमसेन सर्किल सहित प्रमुख स्थानों पर भीड़ भाड़ ना हो और किसी भी स्थिति में अनाधिकृत रूप से खोखे ना लगे और ठेले खड़े ना हो कहने मात्र से व्यवस्था सुधर जाएगी?
संभागीय आयुक्त ने दिए ये निर्देश : – 1 निजी बस संचालन के लिए स्थान तय किए जाएं। 2 अनाधिकृत खोखे निगम जब्त करे।
3 भीमसेन सर्किल से हटाए अतिक्रमण।

4 वेंडिंग नोन वेंडिंग जोन बनाए जाएं।

5 मल्टी स्टोरी पार्किंग की संभावनाओं पर हो विचार ।
6 एक तरफा यातायात की व्यवस्था हो।
7 मुख्य सर्किलों का हो सौर्न्दकरण। – 7 राष्ट्रीय राजमार्गो के दोनों तरफ की दिवारों को पेंट और कलाकृति बनाने, रोड डिवाइडर की मरम्मत हो।
8 असहाय पशुओं की धरपकड़ हो। 9 श्रीगंगानगर रोड पर बनी झुग्गी-झोपड़ियों को शिफ्ट करने से पहले इनके लिए स्थान उपलब्ध कराने के निर्देश नगर विकास न्यास को दिए। इन निर्देशों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह स्थिति तब है जबकि
संभागीय आयुक्त ने केवल मीटिंग लेकर अपने इरादे की इतिश्री नहीं की बल्कि अधिकारियों के साथ शहर भर में मौके के देखे हालात भी देखे। बीकानेर की जनता हालातों से त्रस्त है। यहां के जनप्रतिनिधि भी यही समाधान चाहते हैं। संभागीय आयुक्त ने आते ही बीकानेर की दुखती रग पर हाथ रखा है। क्या यह पीड़ा मिट जाएगी डा.पवन के. नीरज साहब ।

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