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बीकानेर,राजस्थान के 16 लाख युवाओं के भविष्य से जुड़ी शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) में हुए घोटाले के संबंध में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि परीक्षाओं के पेपर आउट करने वाली गैंग अकेले राजस्थान में ही नहीं हैं, बल्कि ऐसी गैंग उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश बिहार आदि राज्यों में भी हैं। यह अच्छी बात है कि सीएम गहलोत अपने प्रदेश में गैंग होना स्वीकार किया है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या पेपर आउट करने वाली गैंग के सरगनाओं पर कानूनी शिकंजा कसा जाएगा? विपक्ष के आरोप अपनी जगह हैं, लेकिन यह बात जगजाहिर है कि रीअ परीक्षा के आयोजन में राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े रिटायर और मौजूदा कॉलेज शिक्षकों की सक्रिय भूमिका थी। पूरे देश में यह संस्थान सिर्फ राजस्थान में ही सक्रिय हैं और इस संस्था की कमान राज्यमंत्री सुभाष गर्ग के पास है। इस संस्था से जुड़े और रीट परीक्षा के जयपुर के संयोजक प्रदीप पाराशर को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। जानकारों के अनुसार सुभाष गर्ग की सिफारिश पर ही पाराशर को जयपुर का प्रभारी बनाया गया था। यानी रीट परीक्षा की व्यवस्थाओं में सुभाष गर्ग का दखल रहा। एसओजी ने भी माना है कि परीक्षा से एक दिन पहले 25 सितंबर को जयपुर के शिक्षा संकुल के स्ट्रॉन्ग रूम से ही रीट का पेपर आउट हुआ है। सब जानते हैं कि सीएम गहलोत के लिए सुभाष गर्ग कितने महत्वपूर्ण मंत्री हैं। बसपा के 6 विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाने में गर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यूं तो सुभाष गर्ग राष्ट्रीय लोक दल के विधायक हैं, लेकिन उनकी वफादारी अपनी पार्टी के बजाए सीएम गहलोत के साथ है। यदि पार्टी के साफ वफादारी होती तो सुभाष गर्ग अब तक गहलोत मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर उत्तर प्रदेश के चुनावों में समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन के उम्मीदवारों को जिताने के लिए पहुंच जाते, लेकिन सुभाष गर्ग राजस्थान में अशोक गहलोत के साथ चिपक कर सत्ता की मलाई खा रहे हैं। भले ही राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी यूपी में कांग्रेस को हराने में लगे हुए हों। इस वफादारी को देखते हुए ही सीएम गहलोत दिल्ली में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक में सुभाष गर्ग से राजस्थान का प्रतिनिधित्व करते हैं। जब मुख्यमंत्री की एवज में सुभाष गर्ग बैठकों में भाग लेंगे तो सरकार में रुतबे का अंदाजा लगाया जा सकता है। क्या प्रभावशाली मंत्री से पेपर लीक घोटाले में राज्य सरकार की कोई जांच एजेंसी पूछताछ कर सकती है? इसी प्रकार इस बात के भी सबूत मिले हैं कि रीट परीक्षा के पेपर छापने वाली कोलकाता की प्रिंटिंग प्रेस के मालिक ने जयपुर में तत्कालीन स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से कई बार मुलाकात की। यह प्रेस पहले भी विवादों में आ चुकी है, लेकिन फिर भी इसी प्रेस को रीट के पेपर छापने का काम दिया गया। राज्यसभा के सांसद किरोड़ी लाल मीणा का आरोप है कि डोटासरा के गृह जिले सीकर के कुछ कोचिंग सेंटरों में भी रीट का प्रश्न पत्र आउट हुआ। यह भी सब जानते हैं कि सीएम गहलोत के लिए डोटासरा कितने महत्वपूर्ण राजनेता है। जुलाई 2020 में सचिन पायलट को बर्खास्त कर डोटासरा को ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। उस समय गहलोत ने सियासत की काफी लड़ाई डोटासरा के कंधे पर बंदूक रखकर लड़ी। रीट परीक्षा करवाने वाले माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के बर्खास्त अध्यक्ष डीपी जारोली पहले ही कह चुके हैं कि रीट घोटाला राजनीतिक संरक्षण में हुआ है। जारोली के कथन को देखते हुए ही यह सवाल उठता है कि क्या गैंग के सरगनाओं पर कानूनी शिकंजा कसा जा सकेगा? राजनीतिक संरक्षण को देखते हुए ही रीट घोटाले की जांच अब सीबीआई से करवाने की मांग जोर पकड़ रही है। कई याचिकाएं हाईकोर्ट में भी लंबित है। यदि हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए तो फिर गैंग के सरगनाओं पर कानूनी शिकंजा कसा जा सकता है।

विरोध प्रदर्शन:
रीट परीक्षा रद्द करने और गड़बडिय़ों की जांच सीबीआई से कराने की मांग को लेकर 31 जनवरी को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने प्रदेशभर में जिला मुख्यालयों पर जबर्दस्त विरोध प्रदर्शन किया। ऐसा ही विरोध प्रदर्शन रीट के अजमेर स्थित कार्यालय पर भी किया गया। रीट का कार्यालय अजमेर में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परिसर में स्थित है। चूंकि रीट कार्यालय के निकट ही संभागीय आयुक्त रेंज के आईजी, जिला कलेक्टर आदि के सरकारी आवास हैं, इसलिए प्रदर्शन के दौरान पुलिस का भारी जमावड़ा रहा। विद्यार्थियों के प्रतिनिधियों ने कहा कि अब जब प्रश्न पत्र आउट होने की बात एसओजी ने स्वीकार कर ली है तब रीट परीक्षा को रद्द किया जाना ही एकमात्र विकल्प है। प्रतिनिधियों का कहना रहा कि रीट घोटाले में सरकार के मंत्रियों के नाम भी सामने आ रहे हैं, इसलिए पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से करवाई जाए।

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