बीकानेर,राजस्थान में राजनीतिक विश्लेषक, भाजपा और संघ से निकटता रखने वाले प्रबुद्ध व्यक्ति ने बीकानेर के एक वरिष्ठ नेता से कहा है कि जल्दी ही वसुंधरा राजे के बारे में निर्णय हो जाएगा। उनके बीच इस मुद्दे पर थोड़ी देर के संवाद से कई संकेत थे, परंतु स्पष्ट रूप से नहीं बताया कि क्या निर्णय होना है। अब जब राजे की वापसी के कयास और चर्चा जोरों पर है तो भाजपा में राजे के विरोधी भी दबी जुबान से मानते हैं कि राजे के बिना भाजपा की वापसी और गहलोत से मुकाबला बड़ी चुनौती है। इन दिनों भाजपा में राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान भाजपा की राजनीति पर विचार विमर्श का दौर, सर्वे रिपोर्ट और राजस्थान में आयोजनों की स्थितियों पर मनन के बाद विरोधियों के सामने राजे भारी पड़ रही है। राष्ट्रीय नेतृत्व भी राजे के भाजपा में राजनीतिक अस्तित्व को नाकार नहीं सकता। संघ की भूमिका हमेशा निष्पक्ष रहती आई है कोई संघ के एक व्यक्ति का अंहकार कुछ भी रहा हो राजे जनता की नेता है। संजीदा नेता और कुशल प्रशासक तो है ही। तभी तो भाजपा संगठन ने उन्हें किनारे लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी फिर भी वे अपने दम खम्म पर जहां खड़ी है वहां कायम है। वसुंधरा राजे को दरकिनार करने का खेल लंबा चला। धुरंधर राजनीतिज्ञ राजे कमोबेश पांच साल अपनी पार्टी के भीतर शह मात का खेल खेलती रही। वो कभी मैदान से बाहर नहीं हुई। पार्टी संगठन और गतिविधियों से उसे अलग थलग किया गया, परंतु वे जनता के बीच रही। देव दर्शन के आयोजन से अपनी ताकत भी दिखाती रही और जनता से भी जुड़ी रही। राजस्थान में भाजपा के आयोजनों में उनके साथ क्या नहीं किया गया। राजस्थान में हुई प्रधानमंत्री की सभाओं में राजे को अलग थलग दिखाया गया। मोदी के सभाओं का जनता पर अगले विधानसभा चुनाव को लेकर क्या असर हुआ आकलन का विषय है, परंतु राजे की उपेक्षा व्यापक चर्चा में रही। भाजपा के कांग्रेस के खिलाफ विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चलाए गए अभियान अब तक कितने सफल माने जा रहे है कह नहीं सकते। नहीं सहेगा राजस्थान तो जन जुड़ाव नहीं होने से टांय टांय फिस्स ही कहा जा सकता है। राजे की राजस्थान भाजपा की राजनीति में ससम्मान वापसी का अगले दिनों में इंतजार है। ऐसा होने के साथ ही राजस्थान में कांग्रेस मुकाबले सुषुप्त भाजपा की चुनावी रणभेरी बज उठेगी। शायद देर आयद दुरुस्त आए ? राजे को लेकर इन दिनों चल रहे कायसों के मुताबिक वापसी होती है तो भाजपा के खातिर शुभ संकेत ही माना जा सकता है। दिल्ली में राजे के साथ बैठकों, वार्ता की बातों और कयासों के अगर कहीं सिर पैर है तो राजे की मैन स्ट्रीम में वापसी भाजपा को नया धरातल देगी।
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