बीकानेर,राजस्थान में गहलोत और पायलट की खींचतान दिन प्रतिदिन नए करवट बदल रहा है। पायलट समर्थकों को दिवाली तक इंतजार था। लेकिन संकेत ऐसे मिल रहे हैं कांग्रेस आलाकमान से गहलोत को अभयदान मिल गया है।राजनीति के गलियारों में चर्चा इसी एक सवाल की होती रही है , अब सचिन पायलट का क्या होगा? सचिन पायलट बीजेपी में लैंड करेंगे, कांग्रेस में ही रहेंगे या कही और ठिकाना। पायलट कैंप को 19 अक्टूबर का इंतजार था। दिवाली भी निकल गई। पायलट कैंप के नेता खामोश है। सचिन पायलट जयपुर से दिल्ली तक यात्राएं कर रहे हैं। निगाह पायलट के कदम पर टिकी है। सचिन पायलट का खामोश है। सीएम गहलोत पायलय की 2020 की बगावत को याद कर बार-बार हमला बोल रहे हैं। पायलट कैंप के विधायक खामोश है। पायलट के इशारे का ंइंतजार है। हालंकि, सचिन पायलट कह चुके है ंकि कांग्रेस सरकार को रिपीट करना उनका मकसद है। 2923 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव है। मिलकर काम करेंगे। राजस्थान में कांग्रेस सरकार रिपीट होगी। लेकिन पायलट समर्थक झुकने के लिए तैयार नहीं है। फिलहाल पायलट समर्थक चुप्पी साधे हुए है। गहलोत समर्थकों का बार-बार एक ही सवाल से माथा ठनका हुआ है।
कांग्रेस में रहकर ही गहलोत को दर्द देने की तैयारी
राजस्थान कांग्रेस में सियासी खींचतान के बीच सचिन पायलट कह चुके हैं कि वह कांग्रेस के सिपाही है। कांग्रेस नहीं छोड़ेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पायलट कांग्रेस में रहकर ही ्अशोक गहलोत को दर्ग देते रहेंगे। क्योंकि पायलट को इस बात का एहसास है कि राजस्थान की राजनीति में थर्ड फ्रंट के लिए जगह नहीं है। बीजेपी में वह सम्मान नहीं मिल पाएगा जो कांग्रेस में मिल रहा है। बीजेपी में वसुंधरा कैंप पायलट की एंट्री के खिलाफ बताया जा रहा है। सचिन पायलट ने खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर शुभ संकेत बताया है। पायलट कैंप के नेताओं ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 में है। अभी करीब सवा साल का समय बचा है। सीएम गहलोत चुनावी मोड़ पर दिखाई दे रहे हैं। चुनावों को ध्यान में रखकर ही धड़ाधड़ फैसले ले रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सीएम गहलोत जिस तेजी से काम कर रहे हैं, उसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। गुजरात-हिमाचल चुनाव का असर पड़ना तय
राजनीति विश्वलेषकों का कहना है कि गुजरात औऱ हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणामों का असर राजस्थान की राजनीति पर पड़ना तय है। सीएम अशोक गहलोत को गुजरात में विशेष पर्यवेक्षक बनाया गया है। जबकि सचिन पायलट को हिमाचल प्रदेश में पर्यवेक्षक बनाया गया है। दोनों राज्यों में गहलोत और पायलट की परफोर्मेंस पर कांग्रेस आलाकमान की नजर रहेगी। हिमाचल प्रदेश में सचिन पायलट को रणनीतिक कौशल दिखाना होगा। जबकि गुजराज में सीएम गहलोत को जादूगरी दिखानी होगी। दोनों राज्यों के चुनाव परिणाम तक राजस्थान में फेरदबल के आसार है। पायलट कैंप के नेताओं को 19 अक्टूबर का इंतजार था। मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बन गए। खड़गे के लिए बड़ी चुनौती राजस्थान है। गहलोत और पायलट कैंप को साधना चुनौती से कम नहीं है।