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बीकानेर,उपनिवेशन आयुक्त महोदय आप अपने मूल पद स्थापन विभाग की तरफ तो झांको। इस लोकहित की सरकार में किसान खून के आंसू रो रहे हैं। आपका विभाग मंत्री के साथ बैठक में लीपापोती और आंकड़ों से सरकार को संतुष्ट कर वाहावाही भले ही ले ले। किसान उपनिवेशन विभाग से दुखी हैं। श्रीकोलायत क्षेत्र की जिन किसानों की पेतृत्व खातेदारी जमीन को सरकार ने उपनिवेशन अधिनियम के तहत गैर खातेदार किया। अब ऐसे सैकड़ों किसानों को खातेदारी देने की प्रक्रिया में ऐसा उलझाया है कि किसान दर दर भटक रहे हैं। आवंटन कमेटी की बैठक को पहेली बना दिया गया है। कमेटी में अनुसूचित जाति का मेम्बर ही नहीं है। बैठक होगी कैसे ? मुख्यमंत्री अशोक गहलोत किसानों के प्रति संवेदनशील है और खादेदारी के लिए गांवों में शिविर लगा रहे हैं। उपनिवेशन विभाग की कार्य दक्षता सामने हैं। पीड़ित कोई छोटी संख्या में नहीं है। राजनीतिक हस्तक्षेप और विभाग की मिलीभगत के रिकार्ड देख लें । आम किसान की सुनवाई कितनी है ये भी जांच लें। फिर विभाग की कार्य दक्षता स्वत: सामने आ जाएगी। उपनिवेशन विभाग का वर्तमान सरकार के कार्यकाल की उपलब्धियों का यथार्थ अलग है। वैसे तो उपनिवेशन विभाग में पोंग बांध विस्थापितों, महाजन फील्ड फायरिंग के विस्थापितों के आवंटन और आबादी विकास का काम पूरा हो गया है। उपनिवेशन विभाग के पास आवंटन के लिए भूमि नहीं हैं। जेसलमेंर में साठ हजार से ज्यादा आवेदन पत्र लम्बित पड़े हैं। यह प्रकरण अदालत में है। विशेष आवंटन 34 हजार से ज्यादा प्रकरणों का निस्तारण होना है। उपनिवेशन रिकार्ड कम्प्यूटराइजेशन तो दूर की कोड़ी है। वैसे कहने को तो गजनेर मुख्यालय श्रीकोलायत के सी ए डी चकों रिकार्ड राइटिंग कार्य प्रगति पर बताया जाता है रिकार्ड मांगों तो मिलता कहां है।गांवों को डी कोलेनाइज करना तो राजनीतिक प्रभाव का हिस्सा है।भूतपूर्व सैनिकों के 394 प्रकरण, शोर्य पदक धारकों के 65 और युद्ध आश्रित विकलांग सैनिकों के 57 प्रकरण लंबित तो प्रक्रियागत कारवाही है। वास्तविकता है कि उपनिवेशन विभाग को किसानों के हित में उनकी समस्याओं को दूर करने के बहुत से प्रकरण निस्तारण के अभाव में पड़े हैं। अगर आयुक्त ध्यान देते हैं तो तुरंत समाधान हो सकेगा। अन्यथा तो राजनीति होती रहेगी।

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